Mukesh Ambani: क्या होता है ‘आम मनोरथ’? ये खास कनेक्शन है मुकेश अंबानी से

By Ramesh Kumar

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Mukesh Ambani

Mukesh Ambani: एशिया के सबसे अमीर आदमी और अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी भारत के सबसे बड़े आम उत्पादक भी हैं। उन्होंने जामनगर के रिलायंस रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स में धीरूभाई अंबानी लखीबाग अमराई का निर्माण कराया है, जो 600 एकड़ में फैला हुआ है। यहां पैदा होने वाले ज्यादातर आम निर्यात किए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां पैदा होने वाले आमोंहम सभी जानते हैं कि मुकेश अंबानी और उनका परिवार बहुत धार्मिक है।

इतना ही नहीं, वह राजस्थान स्थित श्रीनाथ जी के अनन्य भक्त भी हैं। मुकेश अंबानी अक्सर अपने परिवार के साथ श्रीनाथ की पूजा करने जाते हैं। इस मंदिर से जुड़ी एक परंपरा को अंबानी परिवार एंटीलिया में भी मनाता है। से जुड़ी एक परंपरा ‘आम मनोरथ’ को अंबानी परिवार बड़ी धूमधाम से मनाता है। इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण के श्रीनाथ स्वरूप से भी है। आइए आपको बताते हैं इस परंपरा की पूरी कहानी—Mukesh Ambani

‘Aam Manorath’ takes place in Krishna temple of Antilia

मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया में एक बड़ा श्रीकृष्ण मंदिर है। अंबानी परिवार हर साल इसी मंदिर में ‘आम मनोरथ’ मनाता है। मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी जुड़ी तैयारियों पर कड़ी नजर रखती हैं. ‘आम मनोरथ’ के उत्सव में, भगवान कृष्ण के श्रीनाथजी स्वरूप को आम की पहली फसल का भोग लगाया जाता है।

इसमें एंटीलिया के मंदिर को आम से सजाया गया है। यहां तक ​​कि झूमर भी आम से बनाए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस त्योहार के लिए रिलायंस के जामनगर वाले बाग से आम लाए जाते हैं। इस त्यौहार के बारे में एक शानदार लोक कथा का भी उल्लेख किया गया है।

Lord Krishna liked mangoes very much

भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ी एक लोक कथा ‘आम मनोरथ’ प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक बार गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण अपने आंगन में खेल रहे थे, तभी एक गरीब आम बेचने वाला वहां आया. आम बेचने वाली गोपी की आवाज सुनकर भगवान कृष्ण अपनी अंजुली में अनाज भरकर उस गोपी की ओर दौड़े, लेकिन जब तक वे वहां पहुंचे, उनके हाथ में थोड़ा सा अनाज ही बचा था।

इसके बाद उन्होंने गोपी से अनाज के बदले आम देने को कहा, तब गोपी ने उनका भोलापन देखकर उस छोटे से दाने के बदले भगवान कृष्ण के दोनों हाथों में जितने आम आ सकें, उतने आम उन्हें दे दिये। तब गोपी वह थोड़ा सा अनाज लेकर चल पड़ी और जब वह यमुना के तट पर पहुंची तो उसे अपनी टोकरी भारी लगी। इसके बाद जब उसने टोकरी अपने सिर से उतारी तो देखा कि अनाज के वे सभी दाने रत्नों में बदल गए हैं। इसी कहानी के आधार पर ‘आम मनोरथ’ का त्योहार मनाया जाता है।

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