सिंगरौली में ओवरलोड कोयला परिवहन का खुला खेल, एनसीएल को हर टन पर हो रहा है 2000 रुपए का नुकसान

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली में ओवरलोड कोयला परिवहन का खुला खेल, एनसीएल को हर टन पर हो रहा है 2000 रुपए का नुकसान

सिंगरौली, 16 मई 2025।
एनसीएल (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की खदानों से कोयला परिवहन में बड़े पैमाने पर ओवरलोडिंग का गोरखधंधा चल रहा है। यह न सिर्फ एनसीएल को हर टन पर 2000 रुपये की चपत लगा रहा है, बल्कि सड़कों की हालत बदहाल और हादसों की वजह भी बन रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 80 फीसदी से अधिक ट्रेलर और हाइवा वाहन निर्धारित सीमा से अधिक कोयला भरकर प्रदेश और अन्य राज्यों तक पहुंचा रहे हैं।

कमीशन के लिए उड़ रहे नियम कायदे

सूत्रों की मानें तो इस ओवरलोडिंग के पीछे खदानों में तैनात एनसीएल अधिकारी, कांटा ऑपरेटर, सिक्योरिटी गार्ड और ट्रांसपोर्टरों की मजबूत सांठगांठ है। ओवरलोड वाहन तौल केंद्र (कांटा) पर जाते समय प्रति टन 3000 रुपये तक का “कमीशन” दे रहे हैं। 35 टन की क्षमता वाले वाहन में 45 टन तक कोयला लादा जा रहा है, जिससे एनसीएल को भारी आर्थिक क्षति हो रही है।

एसडीएम ने मानी ओवरलोडिंग की बात

सिंगरौली के एसडीएम सृजन वर्मा ने माना है कि ओवरलोडिंग का मामला संज्ञान में आया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन व एनजीटी की शर्तों का उल्लंघन करने वाले ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एनसीएल के कांटों पर धांधली

एनसीएल की जयंत, दुद्धीचुआ, निगाही, खड़िया, ककरी, गोरबी और अन्य परियोजनाओं में कुल 13 से अधिक तौल केंद्र (कांटा) हैं। यहां ओवरलोड वाहनों को निर्धारित भार में ही दिखाया जाता है। यह खेल इतना संगठित है कि कांटा ऑपरेटरों को ओवरलोड छिपाने के लिए प्रति ट्रक 15 हजार तक मिलते हैं।

बिना पासिंग, कोयला लोडिंग तक की छूट

रिपोर्ट्स के अनुसार, बिना पासिंग के वाहन भी कोयला लोडिंग क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। इसके पीछे सिक्योरिटी इंचार्ज और कोल ट्रांसपोर्टरों की सांठगांठ बताई जा रही है। अंदर प्रवेश के एवज में सिक्योरिटी को मोटी रकम मिलती है।

वाहन क्षमता और ओवरलोडिंग की तुलना

वाहन प्रकार निर्धारित क्षमता ओवरलोडिंग क्षमता
ट्रेलर 32 टन 50 टन
हाइवा 22 टन 30 टन
बॉडी गाड़ी 25 टन 32 टन

एनसीएल की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

एनसीएल प्रशासन द्वारा जांच और नियंत्रण की बात कही जाती है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, प्रति ट्रांसपोर्टर हर महीने अधिकारियों को 50 हजार रुपये तक की रकम दी जाती है, जिससे उन्हें “नेत्रहीन” बना दिया जाता है।

क्या कहती है एनजीटी?

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशानुसार, कोयला परिवहन केवल तय सीमा में किया जाना चाहिए, लेकिन सिंगरौली में इसका खुला उल्लंघन हो रहा है। इससे पर्यावरणीय संकट और सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा देखा जा रहा है।

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