बैसरन घाटी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई: कुलगाम में पकड़े गए युवक की मौत पर उठे सवाल

By Awanish Tiwari

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बैसरन घाटी हमले के बाद कड़ी कार्रवाई: कुलगाम में पकड़े गए युवक की मौत पर उठे सवाल

श्रीनगर | सुरक्षा डेस्क रिपोर्ट
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है। इस आतंकी हमले ने घाटी की शांति को एक बार फिर झकझोर दिया, जिसके बाद आतंकी नेटवर्क और उनके सहयोगियों पर शिकंजा कसने की मुहिम तेज़ हो गई है। लेकिन अब कुलगाम जिले में पकड़े गए एक युवक की मौत ने सुरक्षा कार्रवाई पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।


 पहलगाम हमला और पुलिस की पूछताछ में मौत की गूंज

हमले के बाद संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हुए कुलगाम से एक युवक को हिरासत में लिया गया था। पुलिस के अनुसार, युवक आतंकी संगठन का ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) था। पूछताछ के दौरान युवक की संदिग्ध गतिविधियों के चलते वह नदी में कूद गया, जिससे उसकी मौत हो गई।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस पूरी घटना का ड्रोन फुटेज भी जारी किया है। फुटेज में एक युवक को नदी में छलांग लगाते हुए और बहते हुए दिखाया गया है, जिसे पुलिस ने पारदर्शिता का प्रमाण बताया है।


परिजनों ने बताया संदिग्ध, मांगी न्यायिक जांच

मृत युवक की पहचान इम्तियाज़ अहमद के रूप में हुई है। उसके परिजनों ने पुलिस के दावों को सिरे से खारिज किया है। परिवार का आरोप है कि इम्तियाज़ की मौत सामान्य नहीं थी और यह पूरी तरह संदिग्ध है।

परिजनों ने इस घटना की न्यायिक जांच की मांग की है और कहा कि ड्रोन फुटेज केवल एक पक्षीय तस्वीर दिखा रही है। उन्हें शक है कि पुलिस हिरासत में मनोवैज्ञानिक दबाव या हिंसा के चलते इम्तियाज़ की जान गई।


घाटी में बढ़ी सुरक्षा, पाकिस्तान को सख्त संदेश

बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद से केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और सीमा पार आतंकियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती, ड्रोन निगरानी, और खुफिया तंत्र की मजबूती जैसे कदम उठाए गए हैं।

गृह मंत्रालय ने NIA और IB को भी सतर्क कर दिया है, जो संभावित OGW नेटवर्क की तलाश में कई इलाकों में छापेमारी कर रहे हैं।


ड्रोन फुटेज से विवाद शांत नहीं, भरोसे की बहस जारी

जहां पुलिस का मानना है कि ड्रोन वीडियो से घटना की पारदर्शिता सिद्ध होती है, वहीं आम जनता और मानवाधिकार संगठनों ने इस पर निष्पक्ष जांच की आवश्यकता जताई है। कई संगठनों ने कहा कि सिर्फ एक वीडियो से किसी की मौत की परिस्थिति को पूरी तरह सही ठहराना उचित नहीं है।


जम्मू-कश्मीर में एक ओर जहां सुरक्षा बल आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं भरोसे और मानवाधिकारों की गहरी बहस को जन्म देती हैं। अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस मौत को लेकर जवाबदेही तय करती है या नहीं, और क्या इम्तियाज़ अहमद को इंसाफ मिल पाता है।

 

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