सिंगरौली जिला प्रशासन के आदेशों की अनदेखी: झटका तार से बनी हादसे की आशंका…

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली जिला प्रशासन के आदेशों की अनदेखी: झटका तार से बनी हादसे की आशंका…

सितूल खुर्द में जानलेवा झटका तार, प्रशासन की अनदेखी से बढ़ा खतरा…

सिंगरौली जिले के सितूल खुर्द क्षेत्र में प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। जिला कलेक्टर के स्पष्ट आदेशों के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो पाई है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। मामला सितूल खुर्द पंचायत के पीछे श्री पांडे जी के घर के पास का है, जहां रोड किनारे झटका तार लगाए गए हैं। इन तारों के कारण स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से छोटे बच्चों और राहगीरों के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है।
सितूल खुर्द के निवासियों का कहना है कि झटका तार मुख्य सड़क के इतने पास हैं कि सिर्फ 10 फीट की दूरी पर ही उनके घर और आंगन हैं। वहां छोटे-छोटे बच्चे खेलते रहते हैं, जिससे किसी भी वक्त बड़ी दुर्घटना हो सकती है। लोगों ने इस समस्या को लेकर कई बार शिकायतें कीं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कागजी कार्यवाही में व्यस्त दिख रहे हैं और इस गंभीर मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे।

रात में और बढ़ जाता है खतरा

रात के समय इन झटका तारों से खतरा और भी बढ़ जाता है। कम रोशनी में लोग इन्हें देख नहीं पाते, जिससे दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि कोई व्यक्ति गलती से भी इन तारों के संपर्क में आ जाए, तो उसे जोरदार करंट लग सकता है, जिससे जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

प्रशासन की उदासीनता

स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस समस्या को लेकर अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जिला कलेक्टर द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों को भी नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे साफ जाहिर होता है कि क्षेत्रीय अधिकारी अपने निजी स्वार्थ के चलते कार्यवाही करने से बच रहे हैं।

कब जागेगा प्रशासन?

अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन कब जागेगा? क्या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है? स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस झटका तार को हटाया जाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लोग बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। सिंगरौली जिला प्रशासन को इस गंभीर मामले पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार लगाते हुए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। यदि इस लापरवाही को यूं ही नजरअंदाज किया जाता रहा, तो भविष्य में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, और यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।

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