SINGRAULI NEWS : रेलवे की लापरवाही; स्लीपर कोच में ठंड से ठिठुरते रहे यात्री

By Awanish Tiwari

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सिंगरौली. बीते एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी के बीच अब तो सांझ ढलते ही कोहरे की चादर भी छाने लगी है। हवाएं उस समय और भी अधिक बढ़ जाती हैं जब ट्रेन रतार पकड़ती है। बंद दरवाजों की दरारों के अलावा खिड़कियां पूरी बंद न होने से उनके नीचे होने वाले गेप में से आ रही ठंडी हवाओं ने यात्रियों की नींद उड़ा दी। जिसमें बड़ों से लेकर मासूम बच्चे तक सर्द हवाओं में ठिठुरते रहे।

बीती रात भोपाल-सिंगरौली ऊर्जाधानी एक्सप्रेस में कुछ ऐसे हालात रहे। जब भोपाल-सिंगरौली ऊर्जाधानी एक्सप्रेस (Bhopal-Singrauli Urjadhani Express)में भोपाल, विदिशा, गंजबासौदा व बीना से सवारियां स्लीपर कोच में चढ़ीं तो उन्हें ऐसा लगा कि अब तो ट्रेन में ठंड कुछ कम लगेगी। स्लीपर कोच के एस-1 हो या एस-7, जब ट्रेन रवाना हुई, तो फिर नीचे की सीटों पर बैठे लोगों ने उस दिशा पर नजर डाली, जहां से सर्द हवाएं तेज रतार में आ रही थीं। सीटों के पास लगे कांच बंद करने पर भी वो पूरी तरह से बंद नहीं हो रहे थे, जिसके चलते उनमें मौजूद सेंध से ठंडी हवाएं इतनी तेज आ रहीं थीं कि नीचे की सीट वाले बैठ नहीं पा रहे थे, तो वहीं ऊपर की सीट वालों को भी ठंड का अहसास कम नहीं लग रहा था।negligence of railways

 

…तो जनरल कोच में कटती रात

स्लीपर कोच एस-7 में सवार रामनरेश शाह सुबह के समय भी सीट पर बैठे ठिठुर रहे थे। उनका कहना था कि पूरी रात ऐसे ही ठिठुरते हुए गुजर गई, यदि हमें मालूम होता कि स्लीपर कोच के कांच भी एयर कंडीशन है तो हम जनरल बोगी में ही सफर करते। क्योंकि उसमें भीड़ के बीच लोगों की गर्मी तो रहती है।

स्लीपर कोच में आ रहीं ठंडी हवाओं के बीच नींद तो कोसो दूर थी, बल्कि यात्री ट्रेन में भी अपने आपको कंबल या अन्य गर्म कपड़ों को ओढक़र ऐसे बैठे थे, मानों खुले मैदान में हों। यात्री भी रेलवे प्रबंधन को कोसते रहे कि कम से स्लीपर कोच नाम दिया है तो एयर टाइट कांच तो लगाने ही चाहिए।

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