singrauli news : साझा चूल्हा कार्यक्रम के रसोइयों को 3 साल से नहीं मिला मानदेय ,मानदेय भुगतान के मामले में दी जा रही तारीख पर तारीख

By Awanish Tiwari

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साझा चूल्हा कार्यक्रम के रसोइयों को 3 साल से नहीं मिला मानदेय ,मानदेय भुगतान के मामले में दी जा रही तारीख पर तारीख

singrauli news : चितरंगी: जिले में साझा चूल्हा कार्यक्रम के तहत कार्य करने वाली रसोइयों को पिछले 3 साल से मानदेय के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वही आईसीडीएस के अधिकारियों के के द्वारा मानदेय देने के लिए तारीख पर तारीख दी जा रही है। ऐसी स्थिति में अब साझा चूल्हा कार्यक्रम योजना पर बंद होने का ग्रहण दिखाई देने लगा है।दरअसल आरोप है कि आईसीडीएस में अब तक एनसीएल एवं एनटीपीसी के सीएसआर एवं डीएमएफ फंड से करीबन 8 करोड़ रुपए से अधिक की विभिन्न सामग्रियां खरीदी की जा चुकी है। सामग्रियों के खरीदी में क्या-क्या हुआ है? यह बात धीर-धीरे उजागर होने लगी है। इधर आरोप है की शासन-प्रशासन को कही न कही से पर्याप्त रकम सामग्रियों के लिए कही न कही से मिल जाती है।

लेकिन साझा चूल्हा कार्यक्रम में काम करने वाली रसोइयों को पिछले 3 साल से मानदेय भुगतान के लिए सिर्फ तारीख पर तारीख मिल रही है। जबकि मानदेय भुगतान के लिए कई बार साझा चूल्हा कार्यक्रम के रसोइया स्थानीय आईसीडीएस अमले से मुलाकात कर अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुना चुकी हैं। इसके बावजूद भी उन्हें अब तक खाली हाथ के अलावा कुछ भी नही मिला है। इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर साझा चूल्हा कार्यक्रम समूह में कुछ रसोईयों ने बताया कि अधिकारियों को अपने स्वार्थ से संबंधित जहां लाखों करोड़ रुपए की हेरा-फेरी करनी होती है। वहां के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध हो जाता है।

उदाहरण के लिए आंगनबाड़ी केंद्रो में बर्तन खरीदी के लिए पर्याप्त बजट मिल गया। बर्तन की खरीदी किस तरह से की गई है। वह भी जग जाहिर है, परंतु महीने में 500 रुपए मानदेय के रूप में काम करने वाली रसोइयों को खुद के पारिश्रमिक भुगतान के लिए 3 साल से आश्वासन के अलावा कुछ भी नही मिला है। आगे आरोप लगाया है कि जिले के अधिकारी ही जब भ्रष्टाचार नैना में डुबकी लगाने लगेंगे तो गरीबों की इसी तरह के दुर्दशा होगी। जबकि 1 महीने में 500 रुपए मानदेय बदले में रोजाना 5 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है। रसोइयों का कितना आर्थिक शोषण हो रहा है। इससे बड़ा उदाहरण भी क्या हो सकता है? उसमें भी 3 साल से मानदेय देने के नाम पर सिर्फ तारीख पर तारीख के सिवाय और कुछ भी नही दिया जा रहा है। रसोइयों ने जिले के प्रभारी मंत्री एवं कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कराते हुए लंबित 3 साल से मानदेय भुगतान कराए जाने की मांग की है।

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