Singrauli news: सेवा प्रदाता से नाखुश, अपने ही पत्राचार से सवालों के कटघर्रे में उप पंजीयक

By News Desk

Published on:

ADS

सेवा प्रदाता से नाखुश, अपने ही पत्राचार से सवालों के कटघर्रे में उप पंजीयक

कौन अधिकारी हो रहे थे गुमराह, स्पष्ट जवाब नही, मामला पकड़ा तूल, 8 वर्षो से पदस्थ है सब रजिस्टार

सिंगरौली 23 सितम्बर। उप पंजीयक सिंगरौली के काले कारनामे एक नही अनगिनत हैं। सब रजिस्टार खुद से जारी एक पत्र से सवालों में घिरते नजर आ रहे हैं। एक सेवा प्रदाता के मामले में पत्र जारी कर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
दरअसल सेवा प्रदाता अंकित दुबे काफी लम्बे अर्से से जिला मुख्यालय बैढ़न में स्टाम्प वेन्डर संबंधी कामकाज करते आ रहे हैंं। अपने खुद के प्रयास से खनिज ठेकेदारों से तालमेल बनाकर खदानों की रजिस्ट्री कराने का कार्य करते आ रहे थे। करीब एक पखवाड़े पूर्व तक सब कुछ ठीक-ठाक था। अचानक गरीमा नेचुरल रिसोर्स चकरिया गोल्ड ब्लॉक के स्टाम्प शुल्क के मामले में बहु चर्चित व विवादित उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार सेवा प्रदाता अंकित दुबे से नाराज हो गये और रजिस्ट्री को होल्ड कर दिया।

 

बाद में 26 लाख रूपये की स्टाम्प शुल्क चोरी का आरोप लगाकर नोटिस जारी किया। हालांकि यह सब कुछ पंजीयक के जानकारी में था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि उक्त रजिस्ट्री पंजीयन होने के पूर्व तक दोनों सेवा प्रदाता एवं उप पंजीयक सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। परंतु यदि सूत्रों की बात माने तो चर्चित उप पंजीयक सेवा प्रदाता से सेवा सत्कार की पूर्ति मंशानुरूप न होने पर अनेक षड्यंत्र रचने लगे। यहां तक कि उप पंजीयक ने बकायदे खनिज अधिकारी के साथ-साथ चकरिया गोल्ड ब्लॉक के ठेकेदार को भी पत्र लिख दिया और पत्र में सेवा प्रदाता अंकित दुबे को लीज एवं समस्त कार्य न देने के लिए निर्देशित किया।

 

हालांकि खनिज अधिकारी के यहां से उप पंजीयक को पत्र का जवाब भी दिया और कहा कि खनिज शाखा से संबंधित किसी भी प्रकार की लीज अथवा खदान के पंजीयन के लिए अंकित प्रसाद दुबे को अथवा किसी भी अन्य सेवा प्रदाता को अधिकृत नही किया है। बल्कि खदान धारक स्वयं पंजीयन के लिए किसी भी सेवा प्रदाता से कार्य ले सकता है, उसका विशेषाधिकार है। खनिज शाखा से उक्त पत्राचार के बाद सब रजिस्टार सवालों के कटघर्रे में घिरते नजर आ रहे हैं। यहां बताते चले कि अंकित दुबे सेवा प्रदाता करीब 10 वर्षो के अधिक समय से काम करते आ रहे हैं। किसी भी विभाग से अधिकृत नही हैं। फिर उप पंजीयक को ऐसी क्या आवश्यकता पड़ी कि खनिज अधिकारी एवं ठेकेदारों को पत्राचार करने लगे।

 

कहीं न कहीं दोनों के बीच किसी न किसी मामले को लेकर तालमेल बिगड़ा या फिर अपने चहेते चर्चित एक सेवा प्रदाता को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए सोची-समझी साजिस के तहत उप पंजीयक के द्वारा पत्राचार किया जा रहा है। हालांकि यह मामला अब काफी तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस बात की चर्चाएं जोर-शोर से चल रही हैं कि वह कौन अधिकारी है, जिसे अंकित गुमराह कर राजस्व के रूप में क्षति पहुंचा रहे हैं। जबकि चल-अचल संपत्ति के स्टाम्पो के अंतरण के जांच परख की समस्त जवाबदेही उपपंजीयक पर निर्भर होता है। फिर सेवा प्रदाता अंकित कैसे अधिकारियों को गुमराह कर दे रहे हैं। इस पत्राचार से उप पंजीयक खुद ही फसते नजर आ रहे हैं।

Leave a Comment