‘आसमानी बाज’ एलओसी पर घुसपैठियों को खोज निकालेगा, एयरफोर्स के नए हथियार से कांपेगा दुश्मन

By Awanish Tiwari

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India Pakistan News: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हाथों में जल्द ऐसा हथियार लगने वाला है, जिससे नियंत्रण रेखा के काफी अंदर तक या चीन सीमा पर सैकड़ों किलोमीटर अंदर तक की गतिविधियों पर निगाह रखना आसान होगा.

India Pakistan War News: पहलगाम आतंकी (pahalgam terrorist) हमले को लेकर पाकिस्तान से तनाव के बीच भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) नया मारक हथियार खरीदने की तैयारी कर रही है. वायुसेना ऊंचे आसमान से निगरानी वाले हाई एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (एचएपीसी) एयरक्रॉफ्ट खरीद रही है. ये मानवरहित विमान एक सैटेलाइट की तरह होते हैं जो वायुमंडल के ऊंचे इलाके स्ट्रैटोस्फीयर में उड़ते हैं. इससे लगातार लंबे वक्त तक दूर तक निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाना संभव होता है. वायुसेना ने 18 महीनों के भीतर इसकी डिलिवरी को लेकर कवायद शुरू की है. एलओसी और चीन से लगी सीमा पर ये एयरक्रॉफ्ट दुश्मन की हर करतूत पर नजर रखने के साथ वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे.

वायुसेना ऐसे HAPS aircraft चाहती है जो कम से कम दो दिन तक लगातार उड़ान भरने के साथ 150 किलोमीटर की रेंज तक छोटी से छोटी चीजों पर निगाह रख सकते हैं. वायुसेना चाहती है कि ऐसे एयरक्रॉफ्ट में कम से कम 400 किमी तक सैटेलाइट कम्यूनिकेशन की ताकत हो. साथ ही जमीन से करीब 50 किमी ऊंचाई तक इनका संपर्क कायम रह सके. ये एयरक्रॉफ्ट इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड कैमरों के साथ इलेक्ट्रॉनिक-कम्यूनिकेशन के अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होते हैं. रात और खराब मौसम में भी ये बखूबी काम करते हैं. एयरफोर्स ISTAR खरीदने पर भी विचार कर रही है.

 

ये मानवरहित एयरक्रॉफ्ट 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ता है, जो यात्री विमानों की उड़ान वाली ऊंचाई से कहीं ज्यादा है. दूरदराज तक चप्पे-चप्पे की निगरानी जुटाकर ये रियलटाइम में ही ये सारी जानकारी कंट्रोल रूम या ड्रोन जैसे दूसरे विमानों तक जानकारी पहुंचा सकता है. ऐसे HAPS aircraft और उपकरणों के लिए वायुसेना ने इच्छुक कंपनियों से 20 जून तक जानकारी मांगी है.

ऐसे एयरक्रॉफ्ट ज्यादातर सौर ऊर्जा से चलते हैं और सैटेलाइट की तुलना में सस्ते, आसानी से तैनात किए जाने वाले होते हैं. ये अपनेआप उड़ान भरने और लैंड करने में सक्षम होते हैं. इसके लिए सैटेलाइट यानी उपग्रह की तरह किसी लांचिंग पैड या रॉकेट की जरूरत नहीं होती.

 

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