योगी सरकार की स्वच्छता क्रांति: 90 हजार गांव बदले, कचरे से कमाई भी शुरू!

By Awanish Tiwari

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योगी सरकार की स्वच्छता क्रांति: 90 हजार गांव बदले, कचरे से कमाई भी शुरू!

लेखक: [D .S TIWARI] उत्तर प्रदेश में अब गांवों की तस्वीर बदल रही है। जहाँ कभी गंदगी और कूड़े के ढेर आम थे, वहां आज साफ-सुथरे रास्ते, हरियाली और सुव्यवस्थित कचरा प्रबंधन नजर आता है। योगी आदित्यनाथ सरकार की ग्रामीण स्वच्छता मुहिम न केवल पर्यावरण सुधार रही है, बल्कि कचरे को कमाई का जरिया भी बना रही है।

स्वच्छता से सशक्तिकरण तक: 90 हजार गांवों की बदली तस्वीर

पिछले दो वर्षों में यूपी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में 90,000 से अधिक गांवों को स्वच्छ और सुंदर बनाने का कार्य पूरा कर लिया है। इस अभियान के तहत:

90,793 गांवों में ठेला गाड़ियां और ई-रिक्शा से घर-घर कचरा संग्रहण किया जा रहा है।

90,604 गांवों में वर्मी पिट और जैविक खाद गड्ढे बनाए गए हैं।

22,000+ ग्राम पंचायतों में यह सिस्टम सक्रिय रूप से लागू हो चुका है।

 कचरे से कैसे हो रही है कमाई?

स्वच्छता अब सिर्फ एक आदर्श नहीं, आर्थिक अवसर भी बन चुकी है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार:

स्रोत आय (₹ में)
उपभोक्ता शुल्क ₹3 करोड़
जैविक खाद बिक्री ₹48 लाख
अजैविक कचरा बिक्री ₹29 लाख
कुल कमाई ₹3.77 करोड़
✅ जैविक कचरे से खाद बनाकर न सिर्फ खेती में मदद मिली है, बल्कि इसकी बिक्री से स्थानीय रोजगार भी उत्पन्न हुए हैं।
✅ अजैविक कचरे (प्लास्टिक, कांच, धातु) को रीसायकल कर राज्य सरकार ने अतिरिक्त आय अर्जित की है।

 सार्वजनिक जगहों पर डस्टबिन: खुले में कचरा डालना हुआ बंद

ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन लगाए गए हैं। इससे न केवल साफ-सफाई बनी रहती है, बल्कि बीमारी और प्रदूषण पर भी अंकुश लगा है।

नई पहलें, नए रोजगार

यह स्वच्छता अभियान सिर्फ सफाई तक सीमित नहीं है। इससे जुड़े कार्यों में:

कचरा संग्रहकर्ताओं की नियुक्ति

खाद निर्माण में श्रमिकों की भागीदारी

कचरा प्रबंधन के लिए तकनीकी कर्मचारियों की आवश्यकता

इन सबने गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ा दिए हैं।

 

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