MP : 130 साल पुराने विश्राम गृह की जगह बनेगा नया भवन ,भवन के निर्माण के बाद, अतिथियों और प्रशासनिक अधिकारियों को  मिलेंगी बाहरी सुविधाएँ 

By Awanish Tiwari

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गंजबासौदा। शहर का 130 साल पुराना विश्राम गृह अब इतिहास बन चुका है। लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) ने तहसील कार्यालय के सामने स्थित विश्राम गृह की जगह दस कमरों वाला एक नया, सुसज्जित और दो मंजिला विश्राम गृह बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। लगभग 2 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रस्ताव को शासन को भेजने की तैयारी चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान विश्राम गृह अब वीआईपी आवाजाही के लिए उपयुक्त नहीं रहा। इसलिए नए भवन का निर्माण आवश्यक हो गया है। इस प्रकार, नए विश्वगृह के निर्माण के बाद, शहर में वीआईपी आवाजाही से जुड़ी व्यवस्थाएँ और भी बेहतर हो जाएँगी।

दस कमरों का नया भवन प्रस्तावित

 

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नए प्रस्ताव के अनुसार, दो मंजिला भवन में दस कमरे बनाए जाएँगे। इसमें ईपी और उनके साथ आने वाले कर्मचारियों के लिए एक बड़ा सम्मेलन और बैठक कक्ष भी होगा। विश्राम गृह आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा और भविष्य की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाएगा।

12 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हुआ था निर्माण

प्रभारी लोक निर्माण विभाग एसडीओ आरके सिंघई के अनुसार, पुराने विश्राम गृह को गोलाकार रूप देकर लगभग 12,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाया गया था। पीछे की ओर एक और विशाल बगीचा था, जिसमें गोलाकार शेड और मेज-कुर्सियाँ लगी थीं। दिन के समय अधिकारी और वीआईपी वहाँ बैठकर स्थानीय लोगों से मिलते और उनकी शिकायतें सुनते थे। लेकिन समय के साथ इस परिसर में व्यापक बदलाव हुए। अब लगभग 10,000 वर्ग मीटर भूमि पर लोनिवि के कार्यालय, स्टोर और कर्मचारी आवास बन गए हैं। विश्राम गृह का क्षेत्रफल घटकर केवल दो हज़ार वर्ग मीटर रह गया है।

समय-समय पर हुए बदलाव

 

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समय के साथ विश्राम गृह में कई छोटे-बड़े बदलाव किए गए। वीआईपी लोगों की आवाजाही बढ़ने पर इसकी ऊपरी मंजिल पर दो और कमरे बनाए गए। अधिकारियों और नेताओं के साथ आने वाले कर्मचारियों की सुविधा के लिए पीछे और बैठक कक्षों का भी निर्माण किया गया था। 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के आगमन पर वर्तमान युग की आवश्यकताओं को देखते हुए, यह भवन अब काफी छोटा और असुविधाजनक साबित हो रहा है।

वीआईपी आवागमन में कठिनाइयाँ

वीआईपी अब विश्राम गृह के एक ही कमरे में ठहरते हैं और उन्हें वहीं बैठकर नेताओं, अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मिलना पड़ता है। जगह की कमी के कारण कई बार असुविधा होती है। अब तक राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद और कई वरिष्ठ अधिकारी यहाँ ठहर चुके हैं। उनके प्रवास के दौरान आई कठिनाइयों से स्पष्ट है कि नया विश्राम गृह समय की माँग है।

विश्राम गृह का निर्माण अंग्रेजों के शासनकाल में हुआ था

 

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मौजूदा विश्राम गृह का निर्माण लगभग 130 वर्ष पहले ग्वालियर रियासत द्वारा किया गया था। उस समय यह क्षेत्र गुना जिले के अंतर्गत आता था। इस भवन का निर्माण अंग्रेज अधिकारियों और जिला स्तरीय अधिकारियों के आवास के लिए किया गया था। शुरुआत में इसमें केवल दो कमरे थे। एक कमरा अधिकारियों के लिए और दूसरा उनके साथ आने वाले कर्मचारियों के लिए आरक्षित था। उस ज़माने में यहाँ एक शताब्दी तक अग्नि प्रज्वलन प्रणाली और गर्मियों में झूलता पंखा लगा रहता था।
सुविधाएँ उपलब्ध थीं।

जल्द ही शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा

वर्तमान विश्राम गृह छोटा पड़ रहा है। यह काफी पुराना हो गया है। पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, इसलिए लोनिवि से दस कमरों वाले नए दो मंजिला विश्राम गृह का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे जल्द ही कलेक्टर के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
विजय राय, एसडीएम, गंजबासौदा

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