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More than a hundred engineers, secretaries and chief engineers in caste trap. भोपाल(ईएमएस)। लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) में सौ से ज्यादा इंजीनियरों के जाति प्रमाणपत्रों को लेकर राज्य सरकार के पास शिकायतें लंबित हैं। इनमें विभाग के सचिव और प्रमुख अभियंता से लेकर छोटे स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। अब शासन स्तर से ऐसे इंजीनियरों के जाति प्रमाण पत्रों की जांच छानबीन समिति से कराई जा रही है। फर्जी जाति के एक मामले में तो पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता की सेवानिवृत्ति के दिन मंत्री ने नोटशीट लिखी कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसकी जांच की जानी चाहिए, लेकिन जब तक विभाग में नोटशीट पहुंची, तब तक वह सेवानिवृत्त हो चुके थे। सूत्र बताते हैं कि विभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले वसूली का जरिया बन गए हैं।
दरअसल, राज्य सरकार का लोक निर्माण विभाग इन दिनों फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की शिकायत से परेशान है। मामला विभाग के मुखिया ईएनसी से लेकर उपयंत्रियों के खिलाफ भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी और पदोन्नति के मामले लंबित हैं। पीडब्ल्यूडी में ईएनसी रहे नरेन्द्र कुमार के खिलाफ भी ऐसी कई शिकायतें हुईं लेकिन चौकाने वाली बात है कि विभागीय मंत्री ने उस दिन जांच के लिए नोटशीट लिखी, जिस दिन वह सेवानिवृत्त हो रहे थे। पीडब्ल्यूडी के सचिव और ईएनसी की भी इसी तरह की जाचें भी लंबित हैं।
छानबीन समिति में 136 शिकायतें लंबित
छानबीन समिति में 136 शिकायतें लंबित पीडब्ल्यूडी अकेला ऐसा विभाग है, जहां के 136 इंजीनियरों के खिलाफ छानबीन समिति के पास शिकायतें लंबित हैं। जिन बड़े अधिकारियों की जाति प्रमाण पत्र की शिकायतें लंबित हैं, उनमें इंजीनियर आरके मेहरा सचिव पीडब्ल्यूडी, एससी वर्मा मुख्य अभियंता, जिले सिंह संयुक्त परियोजना संचालक पीआइयू, वीके आरख अतिरिक्त परियोजना संचालक, संजय खाण्डे प्रभारी मुख्य अभियंता,अपूर्व गौर, आशीष रघुवंशी और निशंत पचौरी के नाम शामिल हैं। इस बारे में अनुसूचित जनजाति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन मिश्रा जाति प्रमाण पत्रों की छानबीन समिति द्वारा जांच का मामला सतत चलने वाली एक प्रक्रिया है।