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नई दिल्ली,(ईएमएस)। 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों-को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मामले के सभी दोषियों के सरेंडर करने से पहले और वक्त देने को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आत्मसमर्पण के लिए वक्त देने का अनुरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश के मुताबिक, सभी आरोपियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करने का आदेश दिया है। बानो केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद के स्वास्थ्य के साथ-साथ बूढ़े मां-बाप सहित कई पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला दिया था।
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले ये सभी दोषी आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे, लेकिन अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने उनकी सजा माफ कर दी थी। 11 दोषियों में बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट शामिल है।
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दरअसल, बिलकिस के दोषियों के आत्मसमर्पण करने की समय सीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रही है। दोषी नाई ने अपनी याचिका में कहा था, प्रतिवादी स्वयं एक बूढ़ा व्यक्ति है, जो अस्थमा से पीड़ित है और उसका स्वास्थ्य वास्तव में खराब है। प्रतिवादी का हाल ही में ऑपरेशन किया गया था और एंजियोग्राफी से गुजरना पड़ा था। आत्मसमर्पण के लिए और अधिक मोहलत मांगते हुए आरोपी रमेश चांदना ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अपनी फसलों की देखभाल कर रहा है और फसलें कटाई के लिए तैयार हैं। चांदना ने कहा कि वह परिवार में एकमात्र पुरुष सदस्य है, उन्हें फसलों की देखभाल करनी पड़ती है। चांदना ने कहा, इसके अलावा, याचिकाकर्ता का छोटा बेटा विवाह योग्य उम्र का है और याचिकाकर्ता पर इस मामले पर गौर करने की जिम्मेदारी है तथा माननीय न्यायालय की कृपा से यह मामला भी पूरा हो सकता है। एक अन्य दोषी मितेश भट्ट ने कहा कि उसकी सर्दियों की फसल कटाई के लिए तैयार है और उसे आत्मसमर्पण करने से पहले कार्य पूरा करना होगा। जोशी ने राहत पाने के लिए हाल ही में पैर की सर्जरी का हवाला दिया था।
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