खंडवा: मुस्लिम धर्म छोड़ दो युवतियों ने अपनाया सनातन, महादेवगढ़ मंदिर में रचाई हिंदू युवकों से शादी

By Awanish Tiwari

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खंडवा: मुस्लिम धर्म छोड़ दो युवतियों ने अपनाया सनातन, महादेवगढ़ मंदिर में रचाई हिंदू युवकों से शादी
— खुद को बताया सनातन धर्म से प्रभावित, नाम बदलकर ली घर वापसी

खंडवा, मध्यप्रदेश: जिले के महादेवगढ़ मंदिर में मंगलवार को एक अनोखा वैवाहिक आयोजन देखने को मिला, जब दो मुस्लिम युवतियों ने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म अपनाया और हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह कर लिया। इस घटना ने न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।

महादेवगढ़ में हुई ‘घर वापसी’, वैदिक विधि से हुआ विवाह

खंडवा के ग्राम बेड़ियां की अमरीन खान और छत्तीसगढ़ की निशात शेख ने सनातन धर्म अपनाकर क्रमश: शुभम राजपूत और कमलजीत सिंह से महादेवगढ़ मंदिर परिसर में सात फेरे लिए। वैदिक पद्धति से हुए इस विवाह के दौरान दोनों युवतियों ने हवन, पूजन और अभिषेक जैसी विधियों में हिस्सा लिया और अपने पूर्व धर्म को त्यागने की घोषणा की।

धर्म परिवर्तन के बाद अब अमरीन खान ‘अनुष्का’ और निशात शेख ‘मेघना’ नाम से जानी जाएंगी। दोनों ने मंदिर समिति से आग्रह कर स्वयं अपनी इच्छा से यह परिवर्तन किया।

प्रेरणा बना सनातन धर्म का सम्मान और मूल संस्कृति

मेघना (पूर्व में निशात शेख) ने मीडिया को दिए बयान में कहा, “सनातन धर्म में नारी का जो सम्मान है, वह मुझे बहुत आकर्षित करता है। राम और सीता जैसे आदर्श मुझे प्रेरित करते हैं। इसलिए मैंने कमलजीत के साथ विवाह कर यह मार्ग चुना है।”

वहीं अनुष्का (पूर्व में अमरीन खान) ने बताया कि शुभम राजपूत से संपर्क में आने के बाद उनका झुकाव सनातन संस्कृति की ओर और अधिक बढ़ गया था। “यह मेरी आत्मा का निर्णय है। मैं अब एक नए जीवन की शुरुआत कर रही हूं,” उन्होंने कहा।

महादेवगढ़ मंदिर बना ‘घर वापसी’ का केंद्र

मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल ने जानकारी दी कि वर्ष 2025 में अब तक आठ मुस्लिम युवतियां महादेवगढ़ मंदिर में घर वापसी कर चुकी हैं। “आज के समय में धर्म के नाम पर हिंसा और भेदभाव हो रहा है, लेकिन सनातन धर्म प्रेम, समानता और सह-अस्तित्व का प्रतीक है। इसलिए कई परिवार हमारे संपर्क में हैं,” उन्होंने कहा।

सांप्रदायिक सौहार्द पर बहस

यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब देशभर में धर्मांतरण को लेकर बहस तेज़ है। हालांकि मंदिर समिति और युवतियों के अनुसार, यह ‘घर वापसी’ पूरी तरह स्वेच्छा से और कानूनी प्रक्रियाओं के पालन के साथ हुई है।

पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में विवाह संपन्न हुआ, जिससे किसी प्रकार के विवाद से बचा जा सके।

यह मामला उन युवाओं के लिए एक उदाहरण बनकर सामने आया है, जो धर्म और समाज की बंदिशों को पीछे छोड़कर अपने निर्णय स्वयं लेने में विश्वास रखते हैं।

 

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