सनातन धर्म में तुलसी का विशेष महत्व, तोड़ने के ये नियम रखे याद

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नई दिल्ली । सनातन धर्म (eternal religion) में तुलसी का विशेष महत्व है। तुलसी के धार्मिक के साथ-साथ आयुर्वेदिक महत्व भी हैं। कई औषधियों में तुलसी का उपयोग किया जाता है। तुलसी के पत्ते तोड़ने की विशेष जानकारी दी गई है। तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं, इसकारण तुलसी के पत्ते तोड़ने के भी नियम बताए गए हैं। हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि तुलसी दिन में तोड़ी जाती है, रात में नहीं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुलसी के पत्ते ब्रह्ममुहूर्त में तोड़ना शुभ माना जाता है, लेकिन इसके लिए कुछ नियम हैं। तुलसी तोड़ने से पहले मंत्र जाप करना चाहिए। उसके बाद ही तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तब यह आपकी कोई मनोकामनाएं पूरी करने में सहायक हो सकता है। अगर आप ब्रह्म मुहूर्त में तुलसी के पत्ते तोड़ रहे हैं, तब सबसे पहले स्नान करें। उसके बाद अपने इष्टदेव की पूजा करें। उसके बाद तुलसी के पेड़ की पूजा करें और पहली बार में केवल 21 पत्तों को ही तोड़े। ऐसा करने से आपके जीवन में खुशियों की सौगात मिल सकती है।

तुलसी के पत्ते तोड़ने से पहले मंत्रों का जाप जरूर करें। तुलसी में जल चढ़ाने के दौरान 21 बार इस मंत्र का जाप करें। ‘ॐ-ॐ’ मंत्र बहुत लाभकारी माना गया है। तुलसी के पत्ते तोड़ने का मंत्र है- ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।

तुलसी में जल चढ़ाने से घर में पॉजिटव एनर्जी मिलती है। पत्तो में सिंदूर लगाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इससे आर्थिक समस्या का समाधान होता है। तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होती है। पूजा के समय घर में दीपक लगाने से भी सुख और सृद्धि मिलती है।

 

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