पीड़िता बोली- न्याय में देरी से बढ़ रहा दर्द, वकील के सवाल ने अंदर तक तोड़ दिया
Breaking News: आधी आबादी को खुले आसमान में उड़ान भरने की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन समाज(Society) कंटक आड़े आ जाते हैं। ऐसे ही दरिंदों ने एक लड़की(a girl) के अरमानों को, सपनों को तार-तार कर दिया। बात न्याय(Justice) पाने के लिए लड़ाई की आई तो व्यवस्था ही इतनी सुस्त है कि मानसिक दर्द बढ़ता जा रहा है।
पांचों आरोपी जेल में, शहडोल जिला न्यायालय में चल रहा है प्रकरण
भावनात्मक पीड़ा को बढ़ाती है न्याय में देरी
पॉक्सो(poxo) एक्ट की धारा-35 स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है कि किसी भी मामले का विचारण घटना के एक वर्ष के भीतर पूर्ण किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुना जाना आवश्यक है, ताकि पीड़िता को शीघ्र न्याय मिल सके। किसी भी वजह से न्याय में देरी पीड़िता के मानसिक और भावनात्मक दर्द को बढ़ाती है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।
को चिंग से लौटते समय एक लड़की सड़क किनारे अपने दोस्त के साथ फोटो खिंचवा रही थी, तभी पांच बदमाश उन्हें जंगल(Forest) की ओर घसीट ले गए। आरोपियों ने लड़की से बारी-बारी से बलात्कार(rape) किया। विरोध पर उसे और दोस्त को तब तक मारा जब तक दोनों बेसुध नहीं हो गए। चार आरोपियों(the accused) का पहले से आपराधिक रिकॉर्ड था। ऐश्वर्य निधि गुप्ता पर 12 व मन्नू पनिका पर 14 मामले दर्ज थे। ये नशे के कारोबार से जुड़े हैं। इलाके में दूसरे अपराधों के लिए रैकी भी करते थे। घटना के बाद पीड़िता के शरीर पर चोट के गहरे निशान व रीढ़ की हड्डी में चोट बर्बरता का दर्द बयां करती है।
न्याय की धीमी प्रक्रिया
सहमी पीड़िता कहती है कि न्याय(Justice) की दहलीज पर दर्द और बढ़ता है। एक वकील ने ऐसा सवाल पूछा, जिसने अंदर तक तोड़ दिया- क्या ऐसा पहले भी हुआ था? मेरे पास शब्द नहीं थे। हालांकि जज ने वकील को ऐसे असंवेदनशील सवाल के लिए डांटा।
संवेदनहीन समाज
पीड़ित परिवार(Family) को ताने और उपेक्षा भी झेलनी पड़ी। पीड़िता के पिता ने कहा, ऐसा लगता था जैसे हमने ही गुनाह किया हो। गवाह बनने को तैयार लोग भी डर से पीछे हट गए। पीड़िता अफसर बनना चाहती है, कहती है कि मैं दूसरी महिलाओं(women)की आवाज बन सकूं।