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अद्भुत-अलौकिक यात्रा के महाकुंभ का आज शुभारंभ
Mahakumbh News: प्रयागराज में कुंभ मेला शताब्दियों से अनवरत चली आ रही सांस्कृतिक यात्रा का पड़ाव है। इसमें कथाएं हैं, संस्कार हैं, अनुष्ठान हैं, अनगिनत आध्यात्मिक और समाजिक चेतनाएं हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अद्भुत और अप्रतिम यात्रा का 12 साल इंतजार किया जाता है। यह इंतजार 144 साल का हो तो यात्रा और अलौकिक हो जाती है। प्रयागराज(Prayagraj) सोमवार से महाकुंभ में इसी यात्रा का साक्षी बनेगा। महाशिवरात्रि(Mahashivratri) तक चलने वाले महाकुंभ(Mahakumbh) में करोड़ों लोग मोक्ष की कामना के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। पवित्र नदियों(sacred rivers) का पुण्य तट होगा, नक्षत्रों की विशेष स्थिति होगी, विशेष स्नान पर्वों का उत्साह होगा, साधु-संत जुटेंगे, धर्म क्षेत्र के सितारे और उनका वैभव होगा, कल्पवासियों की आकांक्षाएं होंगी। दुनियाभर से आए गरीब, अमीर लोग भी होंगे, जो गंगा, यमुना और सरस्वती(Ganga, Yamuna and Saraswati) में मोक्ष की कामना के साथ डुबकी लगाएंगे। इस लोकोत्सव में भारतीय संस्कृति विश्व को स्वयं में समाहित करने की ताकत दिखाती है। ’वसुधैव कुटुंबकम’ की भारतीय अवधारणा सहजता से चरितार्थ होती है।
कब कहां कौन-सा कुंभ
विष्णु पुराण के मुताबिक सूर्य व चंद्रमा मकर राशि में और गुरु मेष राशि में होता है तो प्रयागराज में कुंभ लगता है। गुरु कुंभ और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो हरिद्वार में कुंभ लगता है। सूर्य व गुरु सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में और गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तो उज्जैन में कुंभ लगता है।
अर्ध कुंभ: हर 6 साल में हरिद्वार व प्रयागराज में होता है। बृहस्पति वृश्चिक और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब अर्ध कुंभ लगता है।
कुंभ: हर 12 साल में चार स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।
पूर्ण कुंभ: हर 12 साल में प्रयागराज में होता है।
महाकुंभ: 12 पूर्ण कुंभ के बाद हर 144 साल में प्रयागराज में लगता है। कुंभ का सबसे पवित्र रूप।