कोतवाली पुलिस की लापरवाही, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों की बरामदगी पर सवाल

By News Desk

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कोतवाली पुलिस की लापरवाही, नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकों की बरामदगी पर सवाल

 

 

सिंगरौली:       पिछले वर्ष सितंबर में कोतवाली पुलिस  (Kotwali Police) ने कचनी से यूपी के उन्नाव जिले को बेचने  (sell) जा रही भारी मात्रा में नि:शुल्क (free of charge)   पाठ्यपुस्तकें बरामद  (recovered)  की थीं। 2 सितंबर को पिकअप वाहन (UP 65 HT 4435) में लदी ये किताबें  (books)  कक्षा 8वीं तक की थीं। हालांकि, पुलिस ने जप्त पुस्तकों का सत्यापन  (verification) और बंडलों   (bundles)  की गिनती तक नहीं कराई।
जांच के बाद कलेक्टर  (Collector)  ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी, जिसने प्रतिवेदन (report)  प्रस्तुत किया और तत्कालीन बीआरसीसी को बर्खास्त  (बर्खास्त)  कर एफआईआर दर्ज की गई।

 

 

 

इसके बावजूद पुलिस अब शिक्षा विभाग  (education department)  से जप्त पुस्तकों की संख्या और कक्षाओं के बारे में जानकारी  (Information)   मांग रही है।सवाल उठ रहे हैं कि कचनी में पकड़े गए पिकअप और कन्टेनर चालकों तथा पुस्तक खरीदी  (bought a book)    करने वाले कारोबारी  (businessman)  पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। कई के अनुसार, यह पुलिस की जानबूझकर (Intentionally)  या पक्षपातपूर्ण लापरवाही  (Negligence)  हो सकती है। कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली  (modus operandi)  अब सवालों के घेरे में है

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