सिंगरौली नगर निगम में ठप विकास, कमिश्नर दया किशन शर्मा के कार्यकाल पर उठ रहे सवाल
सिंगरौली। नगर निगम सिंगरौली में इन दिनों विकास कार्यों की रफ्तार थम सी गई है और इसका ठीकरा नगर निगम कमिश्नर दया किशन शर्मा के कार्यशैली पर फोड़ा जा रहा है। नगर निगम के भीतर अधिकारियों की मनमानी, घोटालों की भरमार और तानाशाही रवैये ने निगम की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
साफ-सफाई का अभाव, डीजल की किल्लत
शहर के विभिन्न वार्डों में झाड़ू लगना बंद हो गया है, नालियों की सफाई नहीं हो रही, और कचरे का समय पर उठाव न होने से नागरिकों में भारी असंतोष है। जानकारी के मुताबिक, नगर निगम द्वारा पेट्रोल पंप संचालकों का भुगतान न किए जाने के कारण निगम वाहनों को डीजल मिलना बंद हो गया है। इससे सफाई, जल प्रदाय और अन्य जरूरी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
बिजली और पंखे खराब, गाड़ियाँ जर्जर
नगर निगम के इलेक्ट्रिकल विभाग से जुड़ी गाड़ियां खड़ी-खड़ी खराब हो रही हैं, वहीं बस स्टैंड में लगे पंखे खराब हैं और मेंटेनेंस के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। इससे साफ होता है कि बुनियादी सुविधाओं पर भी अब नगर निगम का नियंत्रण नहीं रहा।
घोटालों की भरमार, स्टोर की फाइलें दबाई गईं
- गाड़ी मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए के फर्जी बिल पास किए जाने की बात सामने आ रही है।
- बल्ब खरीदी में घोटाले की जांच अब तक अधर में है। आरोप है कि जिन बल्बों को नकली बताया गया, उनका भुगतान आपत्तियों के बावजूद कर दिया गया।
- स्टोर विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच का आज तक कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया।
चहेते ठेकेदारों को दिया जा रहा फायदा
नगर निगम कमिश्नर पर आरोप है कि वे अपनी पसंद के ठेकेदारों को टेंट और अन्य सप्लाई के ठेके दे रहे हैं, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। इससे छोटे और योग्य ठेकेदारों को मौका नहीं मिल पा रहा।
जनता का भरोसा टूटा, विकास ठप
नगर निगम की नाकामियों ने शहरवासियों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है। लोग खुलेआम यह कहने लगे हैं कि दया किशन शर्मा के कार्यकाल में निगम विकास की बजाय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। निगम की विफलताएं अब सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बनी हुई हैं।
मांग उठी – निष्पक्ष जांच और कमिश्नर का तबादला
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पार्षदों की ओर से यह मांग की जा रही है कि:
- बल्ब और स्टोर घोटालों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए,
- निगम में वर्षों से चली आ रही मनमानी और एकपक्षीय कार्यप्रणाली पर लगाम लगे,
- और दया किशन शर्मा को तत्काल हटाया जाए ताकि नगर निगम का सुचारु संचालन और शहर का विकास दोबारा पटरी पर लौट सके।
सिंगरौली की जनता अब जवाब चाहती है। क्या जिम्मेदार अधिकारी जवाबदेही तय करेंगे, या यह भी एक और अनसुलझा अध्याय बनकर रह जाएगा?