Satna News: आटो पलटने से मेडिकल कॉलेज की 4 छात्राएं घायल

By Awanish Tiwari

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वार्ड लीविंग टेस्ट देने कॉलेज से जा रही थीं अस्पताल

Satna News: शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना(Government Medical College Satna) में अध्ययनरत प्रथम व द्वितीय वर्ष की 4 छात्राएं मंगलवार की सुबह सडक़ दुर्घटना(road accident) में बुरी तरह घायल हो गईं. हादसा ई-रिक्शा(e-rickshaw) के अनियंत्रित होकर पलटने के कारण हुआ. घायल छात्राओं का जिला अस्पताल में समुचित उपचार किया गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना में एमबीबीएस प्रथम(MBBS I) और द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं का मंगलवार को जिला अस्पताल में वार्ड लीविंग टेस्ट निर्धारित था. जिसमें शामिल होने के लिए 4 छात्राएं(4 girl students) प्रतीक्षा कुर्मी 21 वर्ष, पायल भदौरिया 20 वर्ष, प्रखर त्यागी 19 वर्ष और प्राची खण्डे 20 वर्ष मंगलवार की सुबह मेडिकल कॉलेज(medical college) से अस्पताल जाने के लिए निकलीं.

कॉलेज के गेट क्रमांक 3(College Gate No. 3) के बाहर खड़े ई-रिक्शा में चारों छात्राएं सवार हो गईं. लेकिन सुबह तकरीबन सवा 10 बजे(at 10 o’clock) जैसे ही ई-रिक्शा कुछ दूर आगे बढ़ा वैसे ही अचानक अनियंत्रित होकर एक ओर पलट गया. ई रिक्शा के पलटते ही छात्राएं उसमें दब गईं. जिसके चलते वे बुरी तरह घायल हो गईं. घटना होती देख आस पास मौजूद लोग भाग कर वहां पहुंचे. घायल छात्राओं को आनन-फानन में पीछे से आ रहे दूसरे ई-रिक्शा(e-rickshaw) में बैठाकर उपचार के लिए जिला अस्पताल रवाना किया गया. घटना की सूचना अस्पताल तक पहले ही पहुंच थी लिहाजा छात्राओं के अस्पताल पहुंचते ही समुचित उपचार शुरु किया गया. मामला मेडिकल कॉलेज की छात्राओं का होने के कारण चिकित्सकों द्वारा भी छात्राओं के उपचार में कोई कसर नहीं छोड़ी गई.

क्या होता है वार्ड लीविंग टेस्ट

शासकीय मेडिकल कॉलेज सतना(Government Medical College Satna) में अध्ययनरत छात्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एमबीबीएस के प्रत्येक स्टूडेंट्स को वार्ड लीविंग टेस्ट देने के लिए जिला अस्पताल के वार्ड में जाना पड़ता है. प्रत्येक क्लीनिकल पोस्टिंग के अंत में लिए जाने वाले वार्ड लीविंग वाइवा में केस प्रजेंटेशन, हिस्ट्री एग्जामिनेशन(Presentation, History Examination,), लांग एण्ड शार्ट केसस, इंस्ट्रूमेंट्स और स्पेसिमेन जैसे विषयों से संबंधित प्रश्र पूछे जाते हैं. जिसके जरिए छात्र-छात्राओं की स्वतंत्र रुप से मरीजों को संभाल पाने, उचित उपचार के संबंध में निर्णय ले पाने, उचित तरीके से संवाद स्थापित कर पाने सहित अन्य क्षमताओं का आंकलन किया जाता है

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