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विधवा आदिवासी को न मिल रही पेशंन, न मिला पट्टा
Singrauli Breaking News: जैतपुर के श्यामसुंदर यादव की जमीन NTPC ने अधिग्रहित की थी, जिसका compensation देने के बाद उसे न तो पुनर्वास की सुविधा दी गई और न ही रोजगार दिया गया। अन्य सुविधाएं भी नहीं मिली। वह तीन साल से कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में शिकायती आवेदन लेकर आ रहा है, लेकिन सुनवाई अभी तक नहीं हो पाई है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित आयोजित में आए श्यामसुंदर का कहना है कि हमारी जमीन जैतपुर में थी, जिसे एनटीपीसी ने अधिग्रहण किया था। उस दौरान कहा गया था कि पुनर्वासकराने के साथ ही रोजगार भी दिया जाएगा, साथ ही चिकित्सा व बच्चों को शिक्षा आदि की भी सुविधा देने का भरोसा दिलाया था। हमें केवल मुआवजा दे दिया गया तथा नवजीवन में एक प्लॉट चार लोगों को दिया गया है, जिसमें कौन मकान बनाएगा, यह भी तय नहीं हो पा रहा। हम तो जैतपुर में ही अपनी दूसरी जमीन पर मकान बनाकर रह रहे हैं, तथा मिलने वाली सुविधाओं के लिए पिछले तीन साल से कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है।
चितरंगी के बसनिया गांव में रहने वाली आदिवासी महिला कुशुमकली बैगा के पति रामपवी बैगा की मौत चार साल पहले हो चुकी है। महिला की छह बेटियां हैं, जिनमें से चार की शादी हो गई, जबकि दो अभी उसके साथ रहती हैं तथा एक बेटी पढ़ाई कर रही है। महिला को न तो अभी तक विधवा पेंशन शुरू हुई और न ही जंगल की जमीन में पट्टा मिला है। महिला वन विभाग की भाग संख्या 143/2 में अपनी झोपड़ी बनाकर निवास कर रही है तथा पति जंगल की जमीन में खेती करता था। अब न तो वो खेती कर पा रही है और वन विभाग वाले उसे अपनी जमीन से भगाने के लिए भी आ जाते हैं। महिला ने अपनी गुजर-बसर के लिए वन भूमि में पट्टा तथा विधवा पेंशन के लिए कलेक्ट्रेट में शिकायती आवेदन दिया है। यह महिला भी कई बार आवेदन दे चुकी है, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई।
जवाहर नवोदय विद्यालय पचौर में अध्ययनरत कक्षा 6वीं के छात्र आलोक कुमार भारती के साथ मारपीट करके उसके बाल तक एक शिक्षक ने पिछले दिनों उखाड़ दिए थे। बालक के साथ हुई बेरहम पिटाई की खबर जब प्रकाशित हुई तो उक्त शिक्षक का वहां से ट्रांसफर कर दिया गया। उस घटना से बालक इतना अधिक भयभीत है कि वो उस स्कूल में रात में रुकना नहीं चाहता। आज वो अपनी मां व मौसी के साथ कलेक्ट्रेट आया था। बच्चे की मौसी का कहना है कि स्कूल आवासीय है तथा वहां से शाम को घर आने की परमीशन नहीं है, लेकिन बच्चा इतना डरा है कि वो रात में स्कूल में रुकना नहीं चाहता, इसलिए हम आवेदन देने आए हैं कि उसे शाम को घर आने की परमीशन दी जाए।
तीन माह से लगा रही चक्कर, नहीं हुई सुनवाई
चितरंगी में रहने वाली 62 वर्षीय धनकुंवर बाई कलेक्ट्रेट में शिकयती आवेदन लेकर आई थी, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वही लेट गईं। वृद्धा ने बताया कि मेरा एक बेटा था, जो पिछले वर्ष दुनिया छोड़ गया। प्लॉट एनसीएल ने ले लिया है, जिसका पैसा नहीं मिला है। नियम है कि जब एसडीएम लिखकर देंगे तब हमें पैसा मिलेगा। हम अपने प्लॉट के पैसे के लिए तीन माह से भटक रहे हैं तो हर बार आश्वासन दे दिया जाता है।