सिंगरौली: प्रभारी मंत्री संपत्तिया उइके को सर्किट हाउस में लोगों से मिलने से रोका गया, जन आक्रोश के बीच भरसेड़ी कार्यक्रम भी स्थगित

By Awanish Tiwari

Published on:

Click Now

सिंगरौली: प्रभारी मंत्री संपत्तिया उइके को सर्किट हाउस में लोगों से मिलने से रोका गया, जन आक्रोश के बीच भरसेड़ी कार्यक्रम भी स्थगित

सिंगरौली, 18 मई 2025।
जिले की प्रभारी मंत्री संपत्तिया उइके के एक दिवसीय प्रवास के दौरान स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों की कार्यशैली को लेकर जमकर विवाद खड़ा हो गया। मंत्री के जेपी प्लांट निगरी स्थित सर्किट हाउस में ठहराव के दौरान जनप्रतिनिधियों और आमजन को उनसे मिलने से रोक दिया गया, जिससे नाराजगी और विरोध का माहौल बन गया।

प्रबंधक के आदेश पर रोकी गई एंट्री

सर्किट हाउस के बाहर सुरक्षाकर्मियों ने लोगों को यह कहकर अंदर जाने से रोक दिया कि प्रबंधक खरे ने अनुमति नहीं दी है। सुरक्षाकर्मियों का कहना था कि जब तक प्रबंधक अनुमति नहीं देते, तब तक किसी को अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यह सुनकर वहां पहुंचे देवसर जनपद पंचायत के अध्यक्ष प्रणव पाठक भी गुस्से में आ गए और उनकी सुरक्षाकर्मियों से तीखी झड़प हो गई।

मुलाकात से पहले ही मंत्री निकल गईं बाहर

विवाद और झड़प के बाद जैसे-तैसे प्रवेश की अनुमति मिली, लेकिन तब तक प्रभारी मंत्री सर्किट हाउस से बाहर निकल चुकी थीं। इस घटनाक्रम से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को अपनी समस्याएं और विकास से जुड़े मुद्दे मंत्री तक पहुंचाने का मौका ही नहीं मिला।

स्थानीयों में रोष, नारेबाजी और विरोध

इस पूरे घटनाक्रम से स्थानीय नागरिकों में जबरदस्त नाराजगी देखी गई। लोग सर्किट हाउस के बाहर एकत्र होकर नारेबाजी करने लगे। वे प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। उनकी नाराजगी का असर प्रभारी मंत्री के भरसेड़ी गांव में आयोजित जल संवर्धन कार्यक्रम पर पड़ा।

भरसेड़ी कार्यक्रम स्थगित, मंत्री लौटीं वापस

विरोध और तनाव के माहौल को देखते हुए प्रभारी मंत्री संपत्तिया उइके ने भरसेड़ी का कार्यक्रम स्थगित कर दिया और वहां जाने की बजाय सीधे लौटने का निर्णय लिया। इससे ग्रामीणों को भी निराशा का सामना करना पड़ा, जो मंत्री से मिलने और अपनी समस्याएं बताने की आशा लगाए बैठे थे।

सवालों के घेरे में प्रशासन

इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रभारी मंत्री की जनता से दूरी और जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज करना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ माना जा रहा है। अब देखना यह है कि मंत्री स्वयं इस मामले पर क्या रुख अपनाती हैं और प्रशासन में किस स्तर पर जवाबदेही तय की जाती है।

“प्रभारी मंत्री का दौरा जनता से संवाद का अवसर होता है, लेकिन इसे जिस तरह बाधित किया गया, वह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।” — स्थानीय जनप्रतिनिधि

 

Leave a Comment