Singrauli News: पारंपरिक खेती-उद्यानिकी फसलों की पैदावार कर सकते हैं किसान

By Awanish Tiwari

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पारंपरिक खेती-उद्यानिकी फसलों की पैदावार कर सकते हैं किसान

Singrauli News: पर्यावरण और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये कृषि में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को हतोत्साहित करने के लिये जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। अटल सामुदायिक भवन बिलौंजी में एकीकृत बागवानी मिशन अंतर्गत दो दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।कार्यशाला में उपस्थित किसानो को संबोधित करते हुए कलेक्टर चन्द्र शेखर शुक्ला ने कहा कि किसान का झुकाव हमेशा से पारंपरिक खेती जैसे गेहूं, चना, धान पर रहा है लेकिन पारंपरिक खेती के निवेश एवं उसके उत्पाद की बिक्री में किसानों को कभी कभी हानि उठानी पड़ती है। कहा कि उद्यानिकी की खेती पारंपरिक खेती का एक अच्छा विकल्प बन सकता है हमें उद्यानिकी की खेती को पारंपरिक खेती के साथ सम्मिलित करने की आवश्यकता है। उद्यानिकी खेती के लाभ बताते हुए कहा कि प्रति एकड़ क्षेत्र के हिसाब से उद्यानिकीं खेती हमें पारंपरिक खेती से ज्यादा लाभ देती है यदि उद्यानिकी खेती में जैविक विधि से की जाए तो यह लाभ और भी ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। Collector ने कहा कि अच्छी नस्ल के पौधों का चयन मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार जैविक खाद जैसे जीवामृत बीज अमृत का उपयोग करना होगा। साथ ही फसल के रखरखाव की तकनीक को सीखना होगा। इसके लिए हमें जिले के हर एक किसानों को उद्यानिकी खेती एवं जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुंदरलाल शाह, कृषि वैज्ञानिक अखिलेश चौबे, शैलेन्द्र सिंह गौतम, सहायक संचालक उद्यानिकी एचएल निमोरिया, सहायक संचालक पशु चिकित्सालय डॉ. सुमंत वर्मा, आरसेटी के अशोक त्रिपाठी, संजीव सिंह सहित किसान उपस्थित रहे।

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