Singrauli News: एनसीएल परियोजना (NCL project) अमलोरी में संचालित डीएवी के प्राचार्य के काले कारनामें खुद के आरटीआई के जवाब देते फस गए हैं। इस सनसनी खेज मामले में डीएवी अमलोरी का प्रबंधन खुद घिरता नजर आ रहा है। प्राचार्य ने आरटीआई में जवाब दिया है कि डीएवी अमलोरी का एनसीएल से कोई नाता नहीं है। जबकि एनसीएल अमलोरी और डीएवी के बीच एग्रीमेंट हुआ है—Singrauli News
जानकारी के अनुसार, रिटायर स्टाफ के मुताबिक प्राचार्य ने एनसीएल के आर्डर का गलत उपयोग किया है। प्राचार्य रिटायर हो चुके कर्मचारियों से पैसे की मांग करते हैं, क्योंकि जो भी रिटायर होने के बाद 3 महीने से ज्यादा एनसीएल द्वारा दिए गए रूम का उपयोग करता है उसे नियम के पैनल रेंट भरना पड़ता है। लेकिन डीएवी अमलोरी के प्राचार्य केवल उन्हीं कर्मचारियों का पैनल रेंट काटते हैं जो उनकी बात नही मानते हैं। साथ ही जो उनकी डिमांड को मान लेता है उसके साथ प्राचार्य कोई सख्त कदम नही उठाते हैं।
प्राचार्य का आज दोपहर से मोबाइल है बंद
डीएवी अमलोरी प्राचार्य सत्य प्रकाश आरटीआई में झूठी जानकारी देकर फस गए हैं। आरटीआई में दी गई जानकारी के संबंध में जब उनके मोबाइल नंबर में संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद रहा। उन्होंने आज सुबह से ही अपना मोबाइल बंद रखा। ऐसे में अब चर्चा हो रही है कि वह मीडिया से बचने के लिए अपना मोबाइल बंद किए हुए हैं। हालांकि उनका मोबाइल क्यों और किस वजह से बंद है यह कहना जल्दबाजी होगा।
आरटीआई में दिया गलत जवाब
इस मामले की जांच के लिए जब एक आरटीआई दायर की गई और पूछा गया कि डीएवी स्कूल अमलोरी प्रोजेक्ट में प्रिंसिपल सत्य प्रकाश के कार्यकाल में रिटायर हुए कर्मचारियों ने कितने महीने के बाद रूम खाली किया और स्कूल द्वारा कितना पैनल रेंट जुर्माना के तौर पर एनसीएल के खाते में जमा किया गया। इसके जवाब में प्राचार्य ने खुद को और अपने काले कारनामों को छिपाते हुए भ्रामक जवाब दिया, जो कि पूरी तरह से गलत है। प्राचार्य ने लिखा कि डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी द्वारा संचालित पब्लिक स्कूलों को राज्य सरकार या केंद्र सरकार से कोई सहायता नही मिलती है।
एनसीएल और डीएवी के बीच है ये एग्रीमेंट
डीएवी के प्राचार्य द्वारा दिया गया आरटीआई का जवाब गलत है क्योंकि एनसीएल और डीएवी कॉलेज मैनेजिंग कमेटी के एग्रीमेंट के तहत एनसीएल प्रोजेक्ट स्कूल को सुविधाएं देता है। एग्रीमेंट के क्लाज नंबर 6, 7 और 8 के तहत एनसीएल प्रोजेक्ट के स्कूल को जमीन, स्कूल की बिल्डिंग, पानी, बिजली एवं अन्य जरूरी सुविधाएं जो कि स्कूल को चलाने में सहायक होती हैं। साथ ही एनसीएल मैनेजमेंट द्वारा डीएवी स्कूल को 100 प्रतिशत डेफिसिट दिया जाता है। क्लाज 8 डीएवी के मैनुअल के मुताबिक डीएवी तीन तहर के स्कूल चलाता है। पहला जिसे डीएवी मैनेजिंग कमेटी खुद चलाती है। दूसरा जो प्रोजेक्ट प्राइवेट एवं सरकारी वित्तिय सहायता की मदद से चलते हैं और तीसरा सेमी-प्रोजेक्ट स्कूल हैं।
जवाब देने से क्यों बच रहे प्राचार्य
डीएवी के कर्मचारियों एवं एनसीएल के सूत्रों के मुताबिक डीएवी स्कूल अमलोरी दिन-ब-दिन भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। जहां केवल प्राचार्य की मनमानी चल रही है। प्राचार्य एनसीएल द्वारा बनाए गए नियमों की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं। एनसीएल के सर्कुलर एनसीएल/ एसजीआर/एडमिन/ सर्कुलर/09/ के तहत रिटायर होने के बाद 3 महीने के भीतर रूम को खाली करना होता है।
नही तो मैनेजमेंट पैनल रेंट काटने के लिए बाध्य है। लेकिन प्राचार्य पर ऐसे आरोप हैं कि उन्होंने अपनी मनमानी से कुछ रिटायर कर्मचारियों पर पैनल रेंट का जुर्माना लगाया और कुछ पर नियमों की अनदेखी करते हुए पैनल रेंट नही काटा। प्राचार्य के इस दोहरे व्यवहार पर कई रिटायर हो चुके डीएवी के कर्मचारियों ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बात की सत्यता के लिए जब आरटीआई दाखिल की गई तो प्राचार्य जवाब ना देते हुए खुद को बचाते नजर आए। सही जवाब ना देना और एनसीएल के नियमों की अनदेखी करना प्राचार्य सत्य प्रकाश को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।







