यह घटना सचमुच रहस्य और चौंकाने का मिश्रण है। बिहार के मुजफ्फरपुर के माधोपुर श्मशान घाट पर जो हुआ, उसे सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा। 22 वर्षीय मिट्ठू कुमार के शव ने चिता पर रखे जाने के बाद अचानक हरकत करना और चीखना, न केवल परिजनों बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया।
घटना के अनुसार, मिट्ठू कुमार की तबियत अचानक खराब हो गई थी और उसे पहले ओझा के पास ले जाया गया, फिर अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन 8 नवंबर को उसे मृत घोषित कर दिया गया था। हालांकि, रविवार को श्मशान घाट पर जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तो चिता पर रखे उसके शव में हरकत होनी शुरू हो गई। उसने अचानक हाथ-पैर हिलाना शुरू किया और चीखते हुए कहा कि “रे भाई, हमरा आग काहे लगाबइसे, हम अभी जिंदा हती, हमरा घरे ले चल।” यह सुनकर वहां मौजूद लोग डर से भाग गए, लेकिन बाद में परिजनों ने उसे चिता से नीचे उतार लिया और ओझा को बुलाया।
ओझा ने बताया कि उसे सांप के जहर (भूइसप्पा) ने जकड़ लिया था, और उसे तत्काल अस्पताल ले जाना होगा। इसके बाद परिजनों ने उसे प्रभात तारा अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं:
1. **क्या वह सच में मृत था?** अगर वह सच में मृत था, तो शव में अचानक हलचल क्यों हुई? या क्या यह कुछ और था, जैसे कि एक असामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया?
2. **क्या ओझा की बातों में सचाई थी?** ओझा ने इसे सांप के जहर का असर बताया, लेकिन क्या यह सही था? या यह किसी प्रकार की अन्य चिकित्सा स्थिति का परिणाम था?
3. **मृत घोषित करने में क्या गलती हुई थी?** क्या डॉक्टरों ने पूरी तरह से जांच कर के ही उसे मृत घोषित किया था, या कोई चिकित्सीय चूक हो गई थी?
यह घटना मौत और जीवन के बीच की सीमा पर उठने वाले सवालों और मिथकों की ओर इशारा करती है। खासतौर पर गांवों में अक्सर ओझा और तंत्र-मंत्र की मान्यताएँ अधिक प्रचलित होती हैं, जो कई बार वास्तविक चिकित्सा ज्ञान और प्रक्रिया से टकराती हैं। ऐसे में यह घटना संजीदा विचार और चर्चा का विषय बन सकती है कि क्या चिकित्सा में समय रहते सही उपचार मिलने से किसी की जान बच सकती थी।