Ujjain News: अनूठे अंदाज वाली अंताक्षरी : फिल्मी गीतों के साथ धर्म, संस्कृति और काव्य की फुहार…यह गूंज अमरीका तक जाना चाहिए : अन्नू कपूर

By Awanish Tiwari

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अनूठे अंदाज वाली अंताक्षरी : फिल्मी गीतों के साथ धर्म, संस्कृति और काव्य की फुहार…यह गूंज अमरीका तक जाना चाहिए : अन्नू कपूर

Ujjain News: विक्रमोत्सव में एक नया अध्याय(new chapter) और जुड़ रहा है। कई साल पहले TV पर सबसे पसंदीदा कार्यक्रम आता था अंताक्षरी, जिसके होस्ट अन्नू कपूर थे। लंबे अंतराल(long intervals) के बाद एक बार फिर अन्न कपूर उज्जैन की धरा पर अंताक्षरी थीम पर चहकते-फुदकते नजर आएंगे। बजर बजते ही वे माइक लेकर उस टीम के पास पहुंचेंगे, और तय समय सीमा में टीम ने यदि सही प्रस्तुति दे दी, तो अंक मिलेंगे। नहीं तो समय समाप्ति की घोषणा की जाएगी।

विक्रमोत्सव(Vikramotsav) के अंतर्गत 13 मार्च को टॉवर चौक पर अंताक्षरी का आयोजन होगा। इसमें प्रतिभागी फिल्मी गानों के साथ, संस्कृत के श्लोक और कविता आदि भी गा सकेंगे। यह जानकारी शनिवार को आयोजित प्रेसवार्ता में अभिनेता अन्नू कपूर ने दी। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में अंताक्षरी एक लोकप्रिय पारंपरिक खेल रहा है, जो मुय रूप से गीतों, श्लोकों या कविताओं के माध्यम से खेला जाता है। यह खेल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। प्राचीन समय में इसे संस्कृत श्लोकों के रूप में भी खेला जाता था।

Antakshari  न केवल मनोरंजन का एक साधन है, बल्कि यह भारतीय संगीत, भाषा और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का एक तरीका भी है। यह परंपरा आज भी हर पीढ़ी के बीच उतनी ही लोकप्रिय है जितनी पहले थी। अभिनेता ने कहा कि अंताक्षरी का इतिहास भारतीय लोक-संस्कृति और काव्य-परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह खेल विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों, जैसे मालवी, अवधी, ब्रज, हाड़ौती आदि में प्रचलित रहा है। अंताक्षरी की परंपरा मौखिक कविता-संस्कृति का हिस्सा रही है, जिसमें लोग तुकबंदी और छंदबद्ध गीतों के माध्यम से संवाद करते थे।

प्राचीन भारत में मौखिक परंपरा बहुत मजबूत थी, और यह वेदों के समय से चली आ रही थी। लोकगीतों और धार्मिक भजनों के माध्यम से अंताक्षरी की शैली विकसित हुई। कृष्णभक्ति और रामभक्ति काव्यधाराओं में अंताक्षरी के तत्व मिलते हैं।

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