Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद की राजनीतिक तस्वीर को लेकर शरद पवार ने बड़ी भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि आम चुनाव के बाद कई क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के करीब आएंगी. इसके अलावा कुछ पार्टियों का कांग्रेस में विलय भी हो सकता है. विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं में से एक शरद पवार ने कहा कि अगले कुछ सालों में कई पार्टियां कांग्रेस के करीब आएंगी. इतना ही नहीं, इनमें से कुछ कांग्रेस में विलय के विकल्प पर भी विचार कर सकते हैं. अगर उन्हें लगता है कि ये उनकी टीम के लिए बेहतर होगा. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शरद पवार ने इसका संकेत भी दिया—Lok Sabha Election 2024
उनसे पूछा गया कि क्या यह बात उनकी अपनी पार्टी एनसीपी-शरद चंद्र पवार पर भी लागू होती है। इस पर पवार ने कहा, ‘मुझे कांग्रेस और मेरी पार्टी में कोई अंतर नहीं दिखता. वैचारिक रूप से हम गांधी और नेहरू की लाइन पर चलते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अभी कुछ नहीं कह रहा हूं. अपने दोस्तों से बात किए बिना कुछ भी न कहें. वैचारिक तौर पर हम कांग्रेस के करीब हैं. आगे की रणनीति या कदम पर कोई भी फैसला सामूहिक रूप से लिया जाएगा. ‘नरेंद्र मोदी से समझौता करना मुश्किल है.’
ऐसे में शरद पवार ने खुलकर तो नहीं कहा, लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय हो सकता है. शरद पवार की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब कांग्रेस से अलग होकर बनी कई पार्टियों का नेतृत्व अब उनकी दूसरी पीढ़ी के हाथों में है. इस दौरान शरद पवार ने सहयोगी पार्टी उद्धव सेना के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, ‘उद्धव ठाकरे एक सकारात्मक नेता हैं. हम उनके सोचने के तरीके को समझ चुके हैं. वह भी वही राय रखते हैं जो हम हैं।’
Big loss predicted for BJP in UP and Maharashtra
इस बीच शरद पवार ने बड़ी भविष्यवाणी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र और यूपी जैसे राज्यों में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ अंडरकरंट है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे दल हैं जो नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते. ये लोग आ सकते हैं साथ पवार ने कहा कि देश का मूड अब मोदी के खिलाफ हो रहा है. यह चुनाव 2014 और 2019 से अलग है. अब बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो पहली बार वोट करने जा रहे हैं. इन लोगों को सरकार कम पसंद आ रही है. इसका कारण रोजगार है. उन्होंने 1977 का उदाहरण देते हुए कहा कि तब मोरारजी देसाई की लोकप्रियता आज के राहुल गांधी जितनी नहीं थी, लेकिन सरकार बदल गई थी |