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कांग्रेस में पलायन की लहर से वैचारिक भाजपाई चिंतित ,आने वालें दिनों में थोक में दल बदल की चर्चाएं सरगर्म
जबलपुर। कांगे्रसी दिग्गजों के भाजपा में जाने की खबरे अफवाहों में तैर रही हैं। निकट भविष्य में प्रदेश की सियासत कांग्रेस के दिग्गजों के साथ २२ विधायको और १ दर्जन पूर्व विधायकों की भाजपा में जाने की खबर से न केवल जबलपुर बल्कि प्रदेश की राजनीति में तूफान आ गया। हर कांग्रेसी एक दूसरे से पूछता नजर आया, क्यों भाई कौन कौन जा रहा है। इन्ही खबरों के बीच एक कांग्रेसी दिग्गज के खेमे के नेता के कमलनाथ खेमे के माने जाने वाले विधायकों और पूर्व विधायकों को लेकर कयास लगाना शुरु हो गया।
कहा तो यह तक जा रहा है कि उनके कोटे से अबतक जितने लोग लोकसभा, विधानसभा या नगरीय निकायों के चुनाव लड़ सके है वे सब उनके साथ भाजपाई खेमे में जा सकते है। आज हालात यह हो गये हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर वर्तमान पार्षद तक हर कोई हर किसी से यही सवाल कर रहा है, आप भी बीजेपी में जा रहे हैं। महापौर के दल बदलने के बाद कोई राज्यसभा सांसद के जाने की चर्चा कर रहा है, तो कोई पूर्व विधायक के भाजपा में जाने का कयास लगा रहा है। आज हालात यह है कि कांग्रेस और विपक्ष के एक एक पार्षद से पूछा जा रहा है कि आप कब बीजेपी में जा रहे हैं। दल बदल पहले भी हुए हैं, लेकिन दल बदल की लहर आज पहली बार देखी जा रही है। हालांकी इस तरह की राजनीति को न शहरवासियों सकारात्मक मान रहे हैं, न वरिष्ठ भाजपा जन, सबकी नजर में इसका नुकसान सबको होगा।
वरिष्ठ भाजपाई चिंतित…….
जिस तरह से थोक के भाव में कांग्रेसी, भाजपा में आ रहे हैं। उससे युवा भाजपाई तो अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन वैचारिक और वरिष्ठ भाजपा जन चिंतित नजर आ रहे हैं। जिनका मानना है थोक में होता यह पलायन विचारधारा के आधार पर नहीं सत्ता की मलाई खाने और निजी नफे नुकसान के आधार पर हो रहा है। जिसके आज तो फायदे दिख रहे हैं, लेकिन निकट भविष्य में भाजपा को इसके गंभीर नुकसान होंगे।
पार्षदों के जाने की चर्चा………
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के भाजपा में जाने और अपने साथ कांग्रेस पार्षद डिम्पल टॉक को भी ले जाने के बाद अब यही चर्चा है कि कौन कौन अन्नू के साथ भाजपा में जाएगा। सोशल मीडिया पर यह खबर उड़ाई जा रही है कि मुख्यमंत्री के आगामी जबलपुर कार्यक्रम के दौरान आधा दर्जन कांग्रेस एवं निर्दलीय पार्षद भाजपा का दामन थामेंगे। जिसके बाद सब अपनी जरूरत सहूलियत के हिसाब से अलग अलग पार्षदों का नाम ले रहे हैं। हालांकि किसी भी पार्षद ने अब तक न तो ऐसी कोई घोषणा की है न कोई सिग्नल दिया है।