रैन बसेरा: एनजीओ को ज्यादा राशि में मिला टेंडर, निगम भर रहा बिजली बिल
Indore news: बिना काम किए नगर निगम के ड्रेनेज विभाग(Drainage Department) में अफसरों, कर्मचारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों का भुगतान हो चुका है। ऐसा ही एक और मामला निगम में चल रहा है। आश्रय स्थल (रैन बसेरा) संचालन के नाम पर निगम को आर्थिक नुकसान(Loss) पहुंचाया जा रहा है। रैन बसेरा का एक एनजीओ 34 हजार रुपए मासिक में संचालन कर रहा है तो दूसरे एनजीओ को 50 हजार रुपए भुगतान हो रहा है। ज्यादा राशि लेने वाले एनजीओ के रैन बसेरे का बिजली बिल भी निगम चुका रहा है। पूर्व से अब तक पदस्थ रहे अधिकारियों की इसमें मिलीभगत होने से निगम पर लाखों रुपए(lakhs of rupees) का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है।
निर्धन, बेसहारा(destitute) और बेघर लोगों के लिए शहर में 11 रैन बसेरे हैं। इनका संचालन दो एजेंसियों (मां आस्था और बाल्मीकि सामाजिक संस्था) द्वारा किया जाता है। मां आस्था जो काम 34 हजार रुपए में करती हैं, उसी काम के लिए बाल्मीकि सामाजिक संस्था को 50 हजार रुपए भुगतान किया जाता है। जिन आश्रय स्थलों का संचालन बाल्मीकि संस्था(Operation Valmiki Sansthan) द्वारा किया जाता है, उनके बिजली(Electricity) बिल की बड़ी राशि नगर निगम(Municipal council) द्वारा जमा की जाती है। कुछ समय पहले एमआइसी बैठक में एमआइसी सदस्य मनीष शर्मा ने इस मामले में आवाज उठाई थी और कहा था कि निगम को खुद ही इसका संचालन करना चाहिए। जितनी राशि एनजीओ को चुकाई जा रही है, उससे कम खर्च में निगम इसका संचालन कर सकता है। शर्मा का अन्य लोगों ने भी समर्थन किया। निगमायुक्त और महापौर(Municipal Commissioner and Mayor) ने इस पर विचार कर कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन अफसर एजेंसी पर कार्रवाई करने की बात ही भूल गए।