मास्टर-साहब निकले आशिक! छात्रा से रचाई शादी, मां-बाप को थाने में थमाया सर्टिफिकेट यह देखकर उनके उड़े होश
MP News: मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में एक शिक्षक का अपनी छात्रा से प्रेम प्रसंग चल रहा है और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली है। मध्य प्रदेश में रिश्तों की परंपरागत परिभाषाओं को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एक स्कूल टीचर ने अपनी ही छात्रा से प्रेम संबंध बनाते हुए कोर्ट में शादी रचा ली। उम्र का फासला, सामाजिक बंधन और गुरु-शिष्य की मर्यादा सब कुछ इस मोहब्बत के सामने हार गया, और जब माता-पिता ने बेटी के गायब होने पर थाने का दरवाज़ा खटखटाया. तो वहां उन्हें जो जवाब मिला, वो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था आपकी बेटी अब बालिग है. और ये रहा शादी का सर्टिफिकेट।”
जहां गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहीं एक शिक्षक ने उस रिश्ते को शर्मसार कर दिया है। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले से आया है। यहां वर्धमान स्कूल के 35 वर्षीय शिक्षक विनीत जैन ने अपनी ही छात्रा से विवाह कर लिया। छात्रा स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती थी और शिक्षिका उसकी उम्र की आधी थी। शादी का खुलासा तब हुआ जब छात्रा शाम तक घर नहीं लौटी और उसके परेशान माता-पिता उसे ढूंढते हुए पुलिस थाने पहुंचे।
जब परिजनों ने थाने में अपनी बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने दस्तावेज थमा दिए। उसने उन्हें अचंभित कर दिया। यह लड़की और उसके शिक्षक का कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट था। जांच से पता चला कि शिक्षिका ने छात्रा को वयस्क होते ही उससे शादी करने के लिए प्रोत्साहित किया था और फिर उन्होंने चुपचाप कोर्ट मैरिज कर ली थी।
बताया जा रहा है कि शिक्षक लंबे समय से छात्रा के संपर्क में था और उसने उसे अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। जब लड़की 18 साल की हो गई तो उसने उसे भगा दिया और उससे शादी कर ली। घटना के बाद छात्र के माता-पिता सदमे में हैं। “गरीब माता-पिता अपनी बेटियों को सुरक्षित महसूस करते हुए स्कूल कैसे भेज सकते हैं, जब स्कूल में शिक्षक उनकी बेटियों के साथ ऐसा करेंगे?
पिता ने बताया कि उन्होंने शिक्षक विनीत को पहले भी चेतावनी दी थी लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया। अब चूंकि लड़की वयस्क हो गई थी, इसलिए उसने चतुराई से कोर्ट मैरिज का प्रबंध कर दिया। परिजनों ने मामले में शिक्षक के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। समाज में गुरु-शिष्य रिश्तों की मर्यादाओं को तार-तार करने वाली यह घटना न केवल पीड़ित परिवार के लिए आघात है, बल्कि शिक्षण संस्थानों की नैतिक जिम्मेदारियों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।