मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था। यह भारतीय पारपरिक वास्तुकला से ली गई विषय वस्तुओं के मिश्रण सहित भारत में विक्टोरियन गोथिक पुन: जीवित वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह टर्मिनस इन दोनों संस्कृतियों के बीच प्रभावों के महत्त्वपूर्ण आपसी बदलाव को दर्शाता है। इस भवन को ब्रिटिश वास्तुकार एफ. डब्ल्यू. स्टीवेंस ने डिजाइन किया था। यह भवन मुंबई की पहचान बन गया। इस टर्मिनस का निर्माण वर्ष 1878 में आरंभ करते हुए दस वर्षों में किया गया, जो मध्यकालीन इटालियन मॉडल पर आधारित हाइ विक्टोरियन गोथिक डिजाइन के अनुसार है। इसके पत्थर के गुबद, कंगूरे, नोकदार आर्च और संकेन्द्रित भूमि योजना पारपरिक भारतीय महलों की वास्तुकला के नजदीक है।
वास्तुकला का अनुपम उहारण
यह प्रसिद्ध टर्मिनल ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में 19वीं शताब्दी के अंत की ओर रेलवे वास्तुकला की सुंदरता को भी दर्शाता है। यह स्टेशन उप शहरी और लंबी दूरी रेलों का स्टेशन है। यह भव्य टर्मिनस भारत में मध्य रेलवे का मुयालय है। साथ ही राष्ट्र के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक है। वर्ष 1996 से इसे विक्टोरिया टर्मिनल के नाम से जाना जाता था जो इसे महारानी विक्टोरिया के समान में दिया गया था। 2 जुलाई 2004 को यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने इस 19वीं शताब्दी के अंत में बने इस भवन को विश्व विरासत स्थल नामित किया है। यह टर्मिनस पारपरिक पश्चिमी और भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्टता दर्शाने वाला अद्भुत नमूना है।