Sheetla Saptami 2025: शीतला सप्तमी के दिन माता की पूजा का महत्व और सही विधि यहां जानें

By Awanish Tiwari

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शीतला सप्तमी के दिन माता की पूजा का महत्व और सही विधि यहां जानें

Sheetla Saptami 2025: शीतला सप्तमी का पर्व होली के सात दिन बाद श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसे बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला की पूजा करके भक्त रोगों से मुक्ति, परिवार की सुख-शांति और संतान की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। शीतला माता को विशेष रूप से शीतलता और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है, जिनकी कृपा से चेचक, फोड़े-फुंसी और त्वचा संबंधी रोगों से बचाव होता है। इस लेख में हम शीतला सप्तमी की पूजा विधि, महत्व और इससे जुड़े खास नियमों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

शीतला सप्तमी का महत्व

शीतला माता की पूजा का प्रमुख उद्देश्य शरीर को रोगों से बचाना और गर्मी से राहत पाना है। ऐसा माना जाता है कि माता की उपासना से महामारी और संक्रामक रोगों से बचाव होता है। इस दिन विशेष रूप से महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं और मां शीतला को बासी भोजन (बसौड़ा) का भोग लगाती हैं।

शीतला सप्तमी की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर माता शीतला की पूजा की तैयारी करें।
घर में चूल्हा या गैस जलाना वर्जित होता है, इसलिए एक दिन पहले ही प्रसाद और भोजन बना लें।
माता शीतला की प्रतिमा या चित्र के सामने बासी भोजन (पूड़ी, दही, चावल और गुड़) का भोग अर्पित करें।
माता को जल, रोली, अक्षत, हल्दी, फूल और नारियल अर्पित करें।
शीतला माता के मंत्रों का जाप करें और परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
आरती करें और परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें।
शीतला सप्तमी पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

माता शीतला की विधिपूर्वक पूजा करें।
सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
इस दिन बासी भोजन ग्रहण करें और दूसरों को भी प्रसाद बांटें।
चेचक या अन्य त्वचा रोग से ग्रसित व्यक्ति माता शीतला की विशेष पूजा करें।

क्या न करें:

इस दिन घर में चूल्हा जलाना और ताजा भोजन बनाना वर्जित होता है।
पूजा के दौरान किसी भी तरह की आग जलाना अशुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान गलत भाषा या कटु वचन बोलने से बचें।
इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, गंदगी माता को अप्रिय मानी जाती है।

शीतला माता का मंत्र

पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है:

“ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः”

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