singrauli news : निजी विद्यालयों की किताब दुकानें फिक्स, अभिभावक परेशान

By Awanish Tiwari

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singrauli news : निजी विद्यालयों के एकाधिकार पर अंकुश लगाने में प्रशासन नाकाम, पिछले माह आयोजित बैठक का नतीजा रहा फिसर

singrauli news:  पिछले माह 28 फरवरी को आरटीई एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार तथा लोकव्यापीकरण के संबंध में विधायक रामनिवास शाह, एसडीएम सहित अन्य अधिकारियों तथा निजी विद्यालयों के प्रमुख के साथ एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में कई बड़ी-बड़ी बाते की गई थी। लेकिन वह उक्त बाते केवल कागजो तक ही सीमित बन गई हैं।

दरअसल सिंगरौली के कई ऐसी निजी विद्यालय संस्था है। जहां उनकी मोनोपॉली हावी है। यहां कथित निजी विद्यालय के कर्ता-धर्ता द्वारा मनमानी तरीके से छात्रों के अभिभावकों पर दबाव बनाते आ रहे हैं। आरोप है कि उक्त कथित संस्था के प्रमुखों द्वारा किताब खरीदने के लिए दुकान फिक्स कर दिया है। दूसरे दुकानों में संबंधित विद्यालयों के कक्षाओं की पुस्तके नही मिलते। सिंगरौली के लिए यह कोई नई बात नही है। इस तरह का गोरख धंधा काफी सालों से चल रहा है और यहां के निजी विद्यालयों के शिक्षा माफियां सक्रिय है। इन कथित शिक्षा माफियाओं पर प्रशासन अब तक नकेल कसने में नाकाम रहा है। आरोप यह भी लग रहा है कि बुक सेलरों पर मेहरबान निजी विद्यालय के कथित प्रमुखो उसके बदले में भारी-भरकम बुक सेलरों के व्यवस्थापकों से वसूलते हैं। इसकी रकम हजारों नही बल्की कई लाखों में हैं। पिछले माह 28 फरवरी को जिला मुख्यालय बैढऩ में शिक्षा संबंधी समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें निजी विद्यालयों के प्रमुखों को कड़ी हिदायत दी गई थी। फिर भी उक्त निर्देश का कथित कुछ निजी विद्यालयों पर इसका असर नही पड़ा हैं।

चहेते बुकसेलर संस्था प्रमुखों के बने हैं दुलारे, लाखों का खेला

\ कथित निजी विद्यालय के मोनोपॉली लम्बी अर्से से चली आ रही है। कुछ कथित विद्यालयों के ऐसे प्राचार्य हैं जहां वे करीब डेढ़-दो दशक से इसी विद्यालय में अंगद के पॉव के तरह जमे हुये हैं। विद्यालय के साथ-साथ ऊर्जाधानी से इतनी मोह हो गया है कि यही अब बसने के फिराक में हैं। सूत्र बता रहे हैं कि ऐसे क थित प्रमुख हैं जिनका बुक सेलरों से गहरा नाता हो गया है। उन्हीं के यहां संबंधित विद्यालयों की पुस्तके मिलेंगी। दूसरे दुकानों में तलासते रह जाएंगे। फिर भी किताबे नही मिलेंगी। इसके पीछे व्यापक खेला जा रहा है। क थित बुक सेलरों से एक शैक्षणिक सीजन में बैठे-बैठाये कई लाखों रूपये अतिरिक्त नजराना पहुंच जाता है।

इनका कहना:-

निजी विद्यालय के मोनोपॉली पर अंकुश लगाने के लिए कई निर्णय लिये गये हैं। कुछ ऐसी शिकायते समाचार पत्रों के माध्यम से मिल रही है। इसकी आवश्यक रूप से जांच कराई जाएगी और दोषी पाये जाने पर संबंधित शैक्षणिक संस्था के विरूद्ध कार्रवाई प्रस्तावित की जावेगी।
एसबी सिंह
जिला शिक्षा अधिकारी, सिंगरौली

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