कम्प्यूटर ऑपरेटर बनी ‘अधिकारिणी’! आदेशों को दिखाया जा रहा ठेंगा?
Singrauli News: बरगवां तहसील कार्यालय में इन दिनों एक अजीबोगरीब प्रशासनिक स्थिति बनी हुई है। यहां डाटा एंट्री ऑपरेटर के पद पर पदस्थ काजल गुप्ता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। उपखंड अधिकारी द्वारा जारी किए गए स्थानांतरण आदेश के बावजूद, श्रीमती गुप्ता आज भी उसी कुर्सी पर डटी हुई हैं—मानो आदेशों का उन पर कोई असर ही न हो!
11 अप्रैल 2025 को जारी स्पष्ट निर्देशों में उन्हें बरगवां तहसील से भारमुक्त करने को कहा गया था, लेकिन अब तक उस आदेश पर अमल नहीं हो पाया है। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों एक डाटा एंट्री ऑपरेटर इतनी ताकतवर बन गई हैं कि तहसीलदार और आला अधिकारी के आदेश भी निष्प्रभावी साबित हो रहे हैं?
कुर्सी से मोह या कोई “ऊंचा संरक्षण”?
प्रशासनिक गलियारों में चर्चा तेज है कि श्रीमती काजल गुप्ता का मोह केवल कुर्सी से नहीं, बल्कि उस कुर्सी के पीछे मौजूद ‘संरक्षण’ से है। लोग यह पूछ रहे हैं कि क्या कोई बड़ा हाथ उन्हें बचा रहा है? आखिर क्यों आदेशों को नजरअंदाज कर बिना अधिकार के वह अब तक उसी पद पर बनी हुई हैं?
सूत्रों की मानें तो यह पहला मामला नहीं है, जब बरगवां तहसील में इस प्रकार की अवहेलनाएं हुई हैं। लेकिन इस बार मामला सीधे उपखंड अधिकारी के आदेशों से जुड़ा है, इसलिए मामला और भी गंभीर हो गया है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल, जनता कर रही जवाब की मांग
स्थानीय नागरिकों और कर्मचारियों के बीच यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि प्रशासनिक आदेशों की यही स्थिति रही तो फिर नियम-कानून किसके लिए हैं? बरगवां तहसील के कुछ कर्मियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्थिति असहज और असामान्य है—लेकिन कोई खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सिंगरौली जिला प्रशासन इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाता है। क्या काजल गुप्ता पर कार्रवाई होगी? या फिर इस बार भी मामला दबा दिया जाएगा?