सिंगरौली न्यूज़ : रिहंद जलाशय में बिना अनुमति मछली पकड़ने नाव लेकर उतरे शिकारी

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सिंगरौली न्यूज़ . यूपी-एमपी के सीमांचल क्षेत्र में पसरे एशिया के बड़े कृत्रिम जलाशय रिहंद में बिना अनुमति मछलियों की निकासी से राजस्व को बड़ी चपत लग रही है। मछलियों की चोरी रोकने में संसाधनों का रोना रोने वाला मत्स्य विभाग की हालिया दलील भी काफी दिलचस्प है।

मत्स्य विभाग के जिमेदार अधिकारियों का कहना है कि बाहरी शिकारियों को जलाशय में उतरने से रोकने के लिए संविदा एजेंसी को शिकारमाही की छूट दी गई है। इस पर अधिकारी यह नहीं स्पष्ट कर पा रहे हैं कि बिना अनुमति की निकाली जा रही कई टन मछली का लेखा जोखा कैसे रखा जा रहा है। सामान्य तौर पर ठेके की अनुमति के बाद जलाशय से प्रतिदिन तीन से चार टन मछलियों की निकासी की जाती है। वर्षाकाल व मछलियों के प्रजनन के दृष्टिगत हर साल 30 जून को मछली निकासी को अगस्त तक प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

एक सितंबर से साल के 10 माह के लिए अधिकृत ठेकेदार को मछली निकासी की अनुमति दी जाती है। अनुबंध के मुताबिक इस दस माह निकासी के लिए ठेकेदार को इस साल करीब दो करोड़ 90 लाख रुपए जमा कर मत्स्य विभाग से मछली पकड़ने के लिए अनुमति लेनी थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके विपरीत एक सितंबर से निकासी शुरू करा दी गई।

 

राजस्व को पहुंचा रहे नुकसान

छोटी बड़ी नावों और पावर वोट लेकर शिकारमाही करने कई दर्जन शिकारी जलाशय में उतर गए हैं। इसी के चलते व्यवस्था व राजस्व क्षति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। यूपी-एमपी के करीब 50 किमी वर्ग में फैले बड़े जलाशय के विभिन्न क्षेत्रों व घाटों से निकाली जा रही मछलियों को लेकर जिमेदारों की भूमिका संदेह के घेरे में है।

ठेकेदार ने जलाशय से मछली निकासी के एवज में पैसा जमा कर दिया है। अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। बाहरी शिकारियों को रोकने के लिए ठेकेदार को सक्रिय किया गया है।

राकेश ओझा, वरिष्ठ निरीक्षक मत्स्य विभाग पिपरी

Awanish Tiwari
Author: Awanish Tiwari

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