चीफ जस्टिस बोले-कुर्सी की शक्ति का उपयोग समाज कल्याण में हो
Ujjain News: कुर्सी पर बैठकर शक्ति का उपयोग करना और कुर्सी को सिर पर बैठा लेना, दोनों में अंतर है। अगर पावर सिर पर चढ़ गया तो रिटायरमेंट के बाद बड़ी समस्या हो सकती है। कुर्सी की शक्ति का उपयोग हमेशा समाज कल्याण और लोकहित में होना चाहिए।
यह विचार विक्रमोत्सव 2025 के अंतर्गत कालिदास संकुल(Kalidas Sankul) में शनिवार को ‘विक्रमादित्य का न्याय’ विषय पर वैचारिक समागम के शुभारंभ अवसर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय(Madhya Pradesh High Court) के मुख्य न्यायाधिपति सुरेश कुमार कैत ने रखे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के जस्टिस अनिल वर्मा भी मौजूद रहे। तीन दिवसीय समागम में भारतीय न्याय व्यवस्था और विक्रमादित्य के न्याय सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
जस्टिस(justice) कैत ने कुर्सी के पावर के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि न्याय केवल दंड देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज में नैतिकता और संतुलन बनाए रखने का साधन भी है। जस्टिस कैत ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासन व्यवस्था प्रधान था, न कि व्यक्ति प्रधान। उनका शासन तंत्र न्याय, प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक समरसता पर आधारित था। उनका न्याय त्वरित और पारदर्शी था, इसलिए आज भी उनके न्याय की मिसाल दी जाती है।