सिंगरौली का गठन 24 मई 2008 को हुआ था, जब मध्य प्रदेश के सीधी जिले को विभाजित करके सिंगरौली को एक नया जिला बनाया गया था। इस विभाजन के बाद मध्य प्रदेश में सीधी जिले का पूर्वी भाग और उत्तर में सोनभद्र जिले का आसपास का क्षेत्र सिंगरौली जिले के अंतर्गत आ गया। यह सिंगरौली को मध्य प्रदेश राज्य का 50वां जिला बनाता है।Energy capital of Madhya Pradesh
सिंगरौली में कौन सी भाषा बोली जाती है?
सिंगरौली जैसे विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों के साथ एक ही स्थान पर विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं। इस क्षेत्र में बाघेलखंडी, मालवी और कई अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। बघेलखंडी सीधी, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनुपपुर, शहडोल और उमरिया में बोली जाती है, जबकि मालवी सीहोर, नीमच, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, झाबुआ, उज्जैन, देवास, इंदौर और अन्य स्थानों में बोली जाती है।Energy capital of Madhya Pradesh
सिंगरौली को “मध्यप्रदेश की ऊर्जा की राजधानी” क्यों कहा जाता है
सिंगरौली को “मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी” कहा जाता है। यह अपने ऊर्जा उत्पादन, विशेषकर कोयला उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। सिंगरौली में कोयला खदानें होने के कारण इसे ऊर्जा संरक्षण का केंद्र माना जाता है। यह शहर बिजली उत्पादन का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है, और यहां कई बिजली संयंत्र हैं, जो देश की ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
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