सतना . न तो घर की आर्थिक स्थिति अनुकूल है और न घरवालों की ओर से किसी तरह की सराहना ही मिल पाती है. लेकिन इसके बावजूद भी कुछ कर गुजरने का ऐसा जुनून छाया रहता है कि लगातार नए-नए प्रयोग करते रहने के साथ ही रिस्क लेने से भी पीछे नहीं हटता. यह कहना है 16 वर्षीय अंकित का, जिसने हाल ही में कबाड़ का सामान बटोरकर जोर-जुगाड़ करते हुए ई-बाइक तैयार की है. इतना ही नहीं ई-बाइक के बाद अब अंकित ऐसी जीप बनाने की सोच रहा है जिसमें इंजन नहीं होगा और वह बैटरी, पेट्रोल अथवा सोलर पैनल से चलने के बजाए मोटर से चलेगी.
जिले के घूरडांग गांव के निवासी, किसान माता-पिता के 5 बेटे-बेटियों में सबसे छोटे अंकित निषाद इन दिनों शहर में जहां भी निकलते हैं लोग उन्हें घेर कर खड़े हो जाते हैं. दरअसल लोगों का कौतूहल उनकी अजीब से दिखने वाली बाइक को लेकर होता है. सभी लोग यह जानना चाहते हैं कि बाइक कैसे चलती है. बाइक पर बैठकर कैसे सवारी की जा सकती है. इस बारे में अंकित बताते हैं उनकी द्वारा बनाई गई जिस बाइक को लेकर नगरवासियों के बीच उत्सुकता देखने को मिल रही है, उसे दरअसल वह साल भर पहले ही बना चुके हैं. अपनी बनाई बाइक पर बैठ कर वे पिछले साल भर से शहर का कोना-कोना घूम चूके हैं. अंकित ने आगे बताया कि उनकी बाइक एक बार फुल चार्ज हो जाने पर 70 किमी का सफर तय करती है. बाइक में लगी लीथियम बैटरी को चार्जर के जरिए चार्ज किया जाता है.देशी जुगाड़
उनकी बाइक का वजन तकरीबन 40 किलो है लेकिन वह लगभग 3 क्विंटल का वज आसानी से ढो सकती है. यानी 2-3 लोग बड़े आराम से बैठकर घूम सकते हैं. अंकित के अनुसार उनकी बाइक में कुल 4 गेयर हैं, जिसमें से एक बैक गेयर भी शामिल है. हेडलाइट में एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया गया है. अंकित के अनुसार बाइक की सीट मोटे जीआई पाइप के ऊपर बनाई, नीचे एंगल को काटकर संतुलित करते हुए जोड़ा, फिर शॉकअप को लगाया, जिसके बाद मोटर फिट की. अंकित के अनुसार बाइक में लगा सारा सामान उन्होंने कबाड़ की दुकानों से खोजा और फिर उसे अपनी डिजाइन के अनुरुप परिवर्तित किया. यहां तक कि कबाड़ की दुकान से पुरानी डेड बैटरी खरीदी और उसके सेल बदलते हुए उसे चालू कर दिया. अंकित ने बताया कि उनके दिमाग में हर समय कुछ न कुछ आइिडया आता रहता है. लेकिन उसे साकार करने के लिए धन की आवश्यकता के चलते उन्हें मन मसोसकर रहना पड़ता है. उन्हें विश्वास है कि उनकी मेहनत कभी न कभी लोगों की नजरों में आएगी और इसी काम के बूते पर वे अपने माता-पिता व परिवार के जीवन स्तर को सुधारने में सफल होंगे.देशी जुगाड़
चोरी हो गई थी साइकिल
अंकित ने बताया कि कुछ नया कर गुजरने की चाह में उन्होंने सबसे पहले बैटरी वाली साइकिल बनाई थी. लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह साइकिल घर से चोरी हो गई. यह देख वे मायूस हो गए, लेकिन अपने पार्ट टाइम कार्य इलेक्ट्रिक फिटिंग के जरिए वे कुछ पैसा जोड़ते रहे. जिसके चलते कुछ समय बाद उन्होंने एक बार फिर से बैटरी वाली साइकिल बना ली. लेकिन आगे कुछ और प्रयोग करने की चाहत में उन्होंने अपनी साइकिल 17 हजार में बेच दी. प्राप्त रुपयों में अपनी बचत को जोड़ते हुए उन्होंने ई-बाइक का सामान खरीदा. कबाड़ से खरीदे गए सामान को वे वेल्डिंग की दुकान में ले गए. जहां पर कुछ किराया चुकाने के बाद उन्होंने कटिंग-वेल्डिंग करते हुए अपनी बाइक का ढांचा तैयार कर लिया.
अब जीप बनाने की तैयारी
अंकित ने बताया कि पहले वे एक ऐसा ड्रोन बनाना चाह रहे थे, जिस पर एक व्यक्ति सवार हो सकता था. लेकिन उसकी लागत के खर्च को देखते हुए वे उस प्रोजेक्ट से पीछे हट गए. अपने पार्ट टाइम कार्य, पढ़ाई के बाद बचने वाले समय में कबाड़ की दुकानों के चक्कर लगाते रहे. जहां पर उन्हें कुछ ऐसा सामान दिखाई दिया जिससे उन्होंने जीप बनाने प्राजेक्ट पक्का कर लिया. अंकित ने बताया कि वे जिस तरह की 4*4 जीप बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं, उसका कान्सेप्ट बिलकुल अलग होगा. उनकी जीप में कोई इंजन नहीं होगा. उनकी जीप न तो जीवाश्म इंधन से चलेगी और न ही बैटरी से. उनकी जीप में एक छोटी सी बैटरी होगी जो सेल्फ स्टार्ट के काम आएगी. एक बार स्टार्ट हो जाने के बाद उनकी जीप में लगी 4 मोटर न सिर्फ उसे अपने आप चलाएंगी बल्कि गजेट चार्जिंग का काम भी करने लगेंगी.