सांसों पर भारी पड़ रही सुविधा, पांच साल में 57 लाख पेड़ों की बलि
Breaking News: देश में जिस तेजी के साथ highway का विस्तार हो रहा है, उतनी ही तेजी के साथ हरे पेड़ों पर ‘कुल्हाड़ी’ भी चल रही है। इसका असर पर्यावरण(Environment) पर दिख रहा है। पिछले पांच साल के दौरान देश में हाइवे निर्माण के लिए करीब 57.10 पेड़ों की कटाई की गई। हाईवे बनने से सुगम परिवहन के कारण लोगों की सहूलियत तो बढ़ी है लेकिन यह सुविधा सांसों पर भारी पड़ रही है। दिल्ली सहित कई शहरों के आसपास हरियाली कम होने से सांसों पर संकट प्रत्यक्ष महसूस होता है।
देश में पिछले दस साल में डेढ़ लाख किलोमीटर लंबाई से अधिक का हाइवे नेटवर्क हो चुका है। इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर हुआ है। 2020-21 से 2023-24 के बीच देश में सबसे अधिक पेड़ों की कटाई गुजरात में हुई है। जहां 7.61 लाख से अधिक पेड़ काटे गए हैं। मध्यप्रदेश में करीब 3 लाख और छत्तीसगढ़ में 2 लाख से अधिक पेड़ों की बलि दी गई है। राजस्थान में करीब 61,177 पेड़ काटे गए हैं।
इतने पेड़ कटे (लाखों में)
गुजरात 7.61, ओडिशा 5.77, कर्नाटक 5.39, उत्तर प्रदेश 3.45, पंजाब 3.11, महाराष्ट्र 2.89, दिल्ली 2.59, मध्यप्रदेश 2.13, हरियाणा 2.13, छत्तीसगढ़ 2.08
दूसरी जगह रोपें
विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण(Environment) व विकास बीच संतुलन जरूरी है। पेड़ों को हटाना जरूरी है, लेकिन पेड़ों को काटने की जगह उन्हें दूसरी जगह लगाया जाना चाहिए। गाजियाबाद-दिल्ली ऐलिवेटेड रोड निर्माण के समय 64 पेड़ों को शिफ्ट किया गया। साथ ही क्षतिपूर्ति वनीकरण यानी जितने पेड़ काटे जाएं, उतने ही पेड़ लगाने के प्रति सख्ती होनी चाहिए।