वेदमंत्रों के संग लिए अग्नि के फेरे, जर्मन रिश्तेदारों ने पहने भारतीय परिधान
Gwalior News: हमारे देश के युवा जहां पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, वहीं पश्चिम के युवा भारतीय संस्कृति(young indian culture) को न सिर्फ आत्मसात कर रहे हैं, बल्कि भारत(India) के युवाओं से शादी करने से नहीं हिचक रहे हैं। गत रात्रि ग्वालियर के राहुल बोहरे की शादी(Marriage) जर्मनी की एमिली बोटना से हुई, जो अब सात फेरे लेकर एमिली बोहरे बन चुकी हैं। इस शादी में भले ही भारत और जर्मनी दो संस्कृतियों का मिलन देखने को मिला, लेकिन विवाह के समस्त रस्मे भारतीय पंरपरा(Indian tradition) के अनुसार ही पूरी की गईं। जयमाला के साथ राहुल-एमिली ने अग्नि के समक्ष वेदमंत्रोंच्चार की पवित्र ध्वनि के बीच सात फेरे लिए। जिस समय राहुल और एमिली ने अग्नि के सात फेरे लिए तो हर फेरे पर जो वेद मंत्र उच्चारित किए गए, अनुवादकों ने हर वेदमंत्र यानि किस फेरे का क्या महत्व है। दूल्हा-दुल्हन को बताया।
ग्वालियर यूथ की ग्लोबल सोच
जाति धर्म के बंधनों से परे होकर अब तक बॉलीवुड के सितारे ही विवाह रचाने की हिम्मत कर पाते थे। इस कड़ी में कई बॉलीवुड(Bollywood) सितारों ने भारत की बजाय अपने लिए विदेशी जीवन साथी चुना। हाल ही के वर्षों में अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा की शादी सबसे चर्चित रही, जिसमेें उन्होंने भारतीय(Indian) रीतिरिवाज के अनुसार अपने से कम उम्र के निक जॉन के संग फेरे लिए थे। ग्वालियर शहर के युवा भी अपनी सोच को विस्तार देते हुए अब इंटरकास्ट मैरिज से आगे बढ़कर सात समंदर पार जाकर जीवन साथी चुन रहे हैं।
राहुल सॉफ्टवेयर इंजीनियर एमिली एचआर… चंबल की संस्कृति में पले-बढ़े मूलत: भिंड के रहने वाले राहुल बोहरे के माता-पिता सीमा-हरिमोहन बोहरे थाटीपुर चौहान प्याऊ स्थित प्रमिला प्लाजा में निवास करते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर(software Engineer) राहुल बोहरे पिछले 8 साल से जर्मनी में जॉब कर रहे हैं। जिस कंपनी में वे जॉब करते हैं, उसी के एचआर डिर्पाटमेेंट में काम करने वाली एमिली की सादगी उनको पसंद आई और धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। प्यार और शादी दोनों ही प्रपॉजल राहुल की ओर से रखे गए, जिन्होंने स्वीकार करने में एमिली ने बिना हिचके तुरंत हां कर दी, क्योंकि पहले ही दिन से वो राहुल को अपना लाइफ पार्टनर मान चुकी थी।
माता-पिता की रजामंदी से बजी शहनाई… इस शादी की सबसे बड़ी खास बात यह है कि एक पंरपरावादी ब्राह्मण परिवार के होते हुए राहुल को यह भरोसा था कि उनके माता-पिता जरूर उसकी भावनाओं को समझेंगे। राहुल ने अपने पिता हरिमोहन बोहरे को अपनी भावना से अवगत कराया। हरिमोहन ने यह कहकर एक लाइन में हां कर दी कि बच्चों की खुशी में ही हमारी खुशी है। बोहरे परिवार के हां करते ही जर्मनी और ग्वालियर दोनों ही जगह शादी(Marriage) की तैयारियां प्रारंभ हो गईं, क्योंकि एमिली के परिजनों को तो पहले से ही कोई ऐतराज नहीं था। जर्मन रिश्तेदारों ने भी पहने भारतीय परिधान गतरात्रि पंचसितारा सुविधाओं से सुसज्जित रेशमतारा रिसोर्ट में एक भव्य समारोह में राहुल और एमिली की शादी की रस्मे निभाई गईं, जिसमें बोहरे परिवार के सगे-संबधी और चुनिंदा मित्रों के साथ जर्मनी से आए एमिली के तीन दर्जन रिश्तेदारों ने भी शिरकत की, जो पूरी तरह भारतीय रंग में रंगे नजर आ रहे थे। इस शादी में शामिल होने के लिए एमिली के महिला रिश्तेदारों ने जहां खासतौर पर लहंगा चोली जैसे भारतीय परिधान डिजायन करवाए थे, वहींं जर्मन पुरूष शेरवानी और पगड़ी में थे।
डीजे की बजाय शहनाई बजी… बेशक यह शादी पश्चिमी सभ्यता(marriage western culture) से आई लड़की की थी, उसके बावजूद सभी रस्में पूरी तरह हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार निभाई गईं। डीजे के तेज शोर की बजाय शहनाई की सुमधुर ध्वनि समूचे वातवरण को आलोकित कर रही थी, वहीं भाषा के बंधनों से परे जर्मन से आए रिश्तेदार बोहरे परिवार एवं उनके सगे संबधियों से मेलजोल बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। अनुवादकों ने बताया वेदमंत्रों का अर्थ जर्मन मेहमानों ने खाया भारतीय खाना… जर्मन से आने वाले मेहमानों से बोहरे परिवार ने पहले ही पूछ लिया था कि खाने में उनके लिए क्या-क्या बनवाया जाए,लेकिन उन्होंने साफतौर पर कह दिया कि हम सब वही खाएंगे जो अन्य मेहमान खाएंगे और उन्होंने भी डोसा, आलू की टिक्की, जलेबी, काजू बरफी जैसे भारतीय जायकों का लुत्फ उठाया