Holi: क्यों मनाया जाता है,होली जानें होली से जुड़ी पौराणिक कथा

By Ramesh Kumar

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Holi

Holi: होली हिन्दुओं (Hindus) के प्रमुख त्यौहार में से एक है. होली पुरे भारतवर्ष में बढ़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. होली के त्यौहार से जुड़ी कई कहानियाँ हैं। जिनमें सबसे प्रमुख है हिरणकश्यप, प्रह्लाद और होलिका (Hiranyakashyap, Prahlad and Holika) की कहानी। राधा कृष्ण (Radha-Krishna) के होली खेलने की दूसरी कथा. यहां हम होली त्योहार से जुड़ी इन दो कहानियों के बारे में जानते हैं।(Holi)

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होली की पहली कथा के अनुसार हिरणकश्यप को अपनी शक्ति और ताकत पर इतना घमंड था कि वह अपने आगे भगवान को भी नहीं मानता था। चूँकि उसका पुत्र सारा दिन भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था, इसलिए उससे यह सहन नहीं हुआ। इसलिए उसने अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के लिए अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। हिरणकश्यप ने अपनी बहन को प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, इसलिए होलिका हिरणकश्यप के पीछे-पीछे चलकर प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन हुआ ऐन उलटा। होलिका जल गयी और हिरणकश्यप का पुत्र प्रह्लाद बच गया। कहा जाता है तभी से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाने लगा.

होली से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार एक बार बाल गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि माता राधा इतनी गोरी हैं तो मैं क्यों नहीं? तब यशोदा मां ने मजाक में उनसे कहा कि अगर तुम राधा के चेहरे पर रंग लगाओगे तो राधा भी तुम्हारे रंग में रंग जाएंगी। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों को रंग लगाया। इस प्रकार यह त्यौहार रंगों के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।

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