यूपी के हिस्ट्रीशीटर का अवैध कबाड़ का धंधा निगाही तक पहुंचा
एनसीएल को खोखला करने का बन रहा नया प्लान
अवनीश तिवारी
नई ताकत न्यूज नेटवर्क
सिंगरौली। एमपी यूपी बॉर्डर पर खनहना से आगे कबाड़ का कारोबार करने वाला हिस्ट्रीशीटर कबाड़ माफिया के निशाने पर अब मप्र के एनसीएल निगाही की खदान आ गयी है। बताया जाता है कि अब निगाही क्षेत्र तक कबाड़ कारोबार की आड़ में बड़े पैमाने पर चोरी और संगठित अपराध का नेटवर्क फैल चुका है। जानकारी के अनुसार, इस धंधे का सरगना यूपी का हिस्ट्रीशीटर कबाड़ व्यापारी है, जो थाना पुलिस और स्थानीय नेताओं से सांठगांठ कर बेखौफ कारोबार चला रहा है।
रातों-रात चोरी का माल पहुंचता है उप्र
सूत्र बताते हैं कि कारोबारी का एक भाई निगाही में कबाड़ की दुकान संभालता है और यहीं से एनसीएल से चोरी हुआ सामान ट्रकों में भरकर रातों-रात उप्र भेजा जाता है। प्रतिदिन दो से तीन गाड़ियां कबाड़ रवाना होती हैं, जबकि दुकान में जांच के लिए सिर्फ कूड़ा-करकट रखा जाता है।
मिश्रा गैंग करता है नेटवर्क का संचालन
कबाड़ कारोबार से जुड़े एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि यह अवैध धंधा यूपी का मिश्रा हिस्ट्रिस्टर दोनों भाई मिलकर चला रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यूपी से आकर इन दोनों को सिंगरौली में इतना बड़ा साम्राज्य फैलाने का संरक्षण आखिर कौन दे रहा है?
एनसीएल को लगा अंदरूनी झटका
एनसीएल के कुछ अधिकारियों का कहना है कि चोरी रोकने में पूरी सहयोग नहीं मिलता, और कुछ एनसीएल कर्मचारी व स्थानीय दलाल भी इस अपराध में शामिल हैं। यही वजह है कि एनसीएल में हुई कई बड़ी चोरियों का आज तक पुलिस खुलासा नहीं कर पाई है।
खाकी पर भी उठ रहे सवाल
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, मिश्रा हिस्ट्रीशीटर गैंग को पुलिस से मदद मिल रही है, जिससे इन अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। नेताओं का राजनीतिक संरक्षण भी इस अवैध कारोबार को फलने-फूलने में मदद कर रहा है।
आसपास बढ़ी चोरी और अपराध
निगाही क्षेत्र में न केवल एनसीएल को नुकसान हो रहा है, बल्कि आसपास की बस्तियों में भी चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। लोग असुरक्षा की भावना में जी रहे हैं।
कड़ी कार्रवाई की मांग
आस पास के बुद्धजीवियों का मानना है कि अगर एनसीएल को बचाना है और इस संगठित अपराध पर रोक लगानी है, तो पुलिस अधीक्षक और सीएसपी को तत्काल छापेमार कार्रवाई करनी होगी। सिर्फ कागजी जांच से कुछ नहीं होगा, क्योंकि यह नेटवर्क यूपी से लेकर एमपी तक फैला हुआ है और इसमें कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका संदिग्ध है।