Singrauli news: वार्ड 36 में अधूरा और घटिया संजीवनी क्लीनिक बना भ्रष्टाचार की मिसाल, पार्षद का सातवां रिमाइंडर भी अनसुना

By Awanish Tiwari

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वार्ड 36 में अधूरा और घटिया संजीवनी क्लीनिक बना भ्रष्टाचार की मिसाल, पार्षद का सातवां रिमाइंडर भी अनसुना

सिंगरौली। नगर पालिक निगम सिंगरौली के वार्ड क्रमांक 36 में बने मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक भवन का निर्माण अब विवादों के घेरे में आ गया है। क्षेत्रीय पार्षद प्रेम सागर मिश्रा ने निगमायुक्त को सातवां रिमाइंडर पत्र सौंपते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं कि क्लीनिक का निर्माण न सिर्फ आधा-अधूरा किया गया है, बल्कि घटिया सामग्री से बनवाकर भुगतान भी कर दिया गया है।

पार्षद का कहना है कि ग्राम जुवाड़ी में निर्मित इस संजीवनी क्लीनिक की हालत निर्माण के कुछ ही महीनों में जर्जर हो चुकी है। भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारें आ चुकी हैं, वहीं खिड़कियां, पंखे और बोरिंग जैसी मूलभूत आवश्यक सुविधाएं तक नहीं लगाई गईं। इसके बावजूद निगम ने ठेकेदार को भुगतान कर दिया, जिससे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की आशंका गहराती जा रही है।


 संजीवनी क्लीनिक बना सवालों का केंद्र, जांच अब तक नहीं

पार्षद मिश्रा ने बताया कि वह 6 बार लिखित रूप में और कई बार मौखिक तौर पर महापौर, निगमायुक्त, नगर निगम अध्यक्ष, एसडीओ, कार्यपालन यंत्री एवं उपायुक्त वित्त को इस मामले की जानकारी दे चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर जांच करना तक मुनासिब नहीं समझा।

पार्षद का आरोप है कि अनुबंध शर्तों की अवहेलना करते हुए संविदाकार ने अपने मनमुताबिक घटिया निर्माण कराया और संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से भुगतान भी प्राप्त कर लिया।


भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात, लेकिन कार्रवाई में ढील

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति की बात करती हो, लेकिन सिंगरौली निगम प्रशासन के रवैये ने इस नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिक भी अब इस मामले में आवाज़ उठाने लगे हैं और सोशल मीडिया पर इसे लेकर निगम प्रशासन की आलोचना हो रही है।


पार्षद की मांग: जांच हो, दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई

पार्षद प्रेम सागर मिश्रा ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि निगमायुक्त इस मामले की स्वतंत्र जांच कराएं, ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए तथा अधूरे कार्यों को जल्द से जल्द पूर्ण कराया जाए, ताकि आम जनता को सुविधाओं से वंचित न रहना पड़े।

अब देखना यह होगा कि सातवें रिमाइंडर पत्र के बाद भी निगम प्रशासन जागता है या फिर संजीवनी क्लीनिक की हालत और प्रशासन की अनदेखी, दोनों जनता के लिए चुनौती बनी रहेंगी।

 

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