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आप के जवाने में बीमा (Insurance) करना बहुत जरुरी लोग समझाते है , तो आइये आप को बताते है बीमा किस स्थिति में हो सकता है, की जुआ खेलने या बाजी लगाने में भी दो व्यक्ति यही समझौता करते हैं कि अमुक घटना घटित होने पर दूसरा व्यक्ति अमुक धनराशि अदा करेगा। लेकिन उसे बीमा नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वयं उस घटना के घटित होने या न होने में उस बाजी लगानेवाले का कोई स्वतंत्र हित नहीं होता। अस्तु, बीमा अनुबंध के लिए सामान्य अनुबंध के तत्वों के साथ-साथ बीमाहित (Insurable Interest) का अस्तित्व आवश्यक है। उदाहरणार्थ क के जीवन का बीमा कोई अजनबी व्यक्ति ख नहीं करा सकता क्योंकि क के जीवित रहने या न रहने में ख का कोई स्वतंत्र हित नहीं है। लेकिन यदि ख क की पत्नी हो तो क के जीवित रहने में ख का हित निहित होने से ख द्वारा क के जीवन का बीमा करना नियमानुकूल होगा।
बीमा हित (insurance interest) का अर्थ व्यापक है। पति पत्नी के जीवित रहने में एक दूसरे का हित तो स्पष्ट ही है। कर्जदार के जीवन में महाजन का हित भी वैसा ही मान्य है। इसी प्रकार संपत्ति बीमा के लिए बीमाहित उस संपत्ति के स्वामी को तो है ही। यह हित उस व्यक्ति को भी उपलब्ध हो जाता है, जिसे किसी अनुबंध के अंतर्गत कोई संपत्ति उपलब्ध होती है। यही नहीं, संपत्ति पर कब्जा मात्र होने से, भले ही वह कब्जा गैरकानूनी हो, बीमाहित उपलब्ध हो जाता है। उदाहरणार्थ अगर किसी दिवालिए के पास उसके कब्जे में कोई संपत्ति है, भले ही वह अधिकर स्वत: गैरकानूनी हो क्योंकि दिवाला निकलने के बाद उसकी सारी संपत्ति पर अधिकारी अभिहस्तांकिनी का अधिकार हो जाता है – किंतु उस संपत्ति का बीमा कराने के लिए उस दिवालिए को भी अधिकारी मान लिया जाता है। किसी अनुबंध द्वारा बीमा हित उत्पन्न होने का आधार उत्तरदायित्व अथवा हित दोनों हो सकते हैं। उदाहरणार्थ जब कोई व्यक्ति कोई मकान किराए पर लेता है तो उस मकान की हिफाजत का कोई उत्तरदायित्व उस पर नहीं होता लेकिन चूँकि उस अनुबंध से किराएदार को सुरक्षा की सुविधा उप्रलब्धि होती है अत: उस मकान की सुरक्षा के बीमे के लिए भी उस किराएदार को बीमा हित उपलब्ध हो जाता है।
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जाने 5 बीमा की विशेषताएँ एवं प्रकृति : Know 5 features and nature of insurance
1. जोखिम से सुरक्षा – Insurance जोखिमों से का सशक्त उपाय है। जीवन में व्याप्त सभी अनिश्चितताओं से व्यक्ति को चिन्तामुक्त करता है। ये जोखिमें जीवन , स्वास्थ्य, अधिकारों तथा वित्तीय साधनों, सम्पत्तियों से सम्बन्धित हो सकती है। अत: इन सभी जोखिमों से सुरक्षा का एक उपाय बीमा ही है।
2. जोखिमों को फैलाने का तरीका – बीमा में सहकारिता की भावना के आधार पर “एक सब के लिए व सब एक के लिए कार्य किया जाता है। समान प्रकार की जोखिमों से घिरे व्यक्तियों को एकत्रित कर एक कोष का निर्माण किया जाता है ताकि एक व्यक्ति की जोखिम समस्त सदस्यों में बँट जाये व किसी एक सदस्य को जोखिम उत्पन्न होने पर उस कोष से उस सदस्य विशेष को भुगतान कर दिया जाता है।
3. जोखिम का बीमितों से बीमाकर्ता को हस्तान्तरण – बीमा में समस्त बीमितों की जोखिमों को बीमाकर्ता को अन्तरण कर दिया जाता है। बीमाकर्ता द्वारा बीमित को हानि होने पर निश्चित भुगतान कर दिया जाता है।
4. बीमा एक प्रक्रिया – Insurance एक प्रक्रिया भी है जो पूर्व निर्धारित विधि से संचालित की जाती है। पहले बीमित अपनी जोखिम का अन्तरण बीमाकर्ता को निश्चित प्रीमियम के बदले करता है तत्पश्चात् बीमा कर्तव्यता द्वारा उस जोखिम के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान की जाती है।
5. Insurance एक अनुबन्ध – बीमा में वैधानिकता का गुण होने से यह एक वै ध अनुबन्ध है। इसमें बीमित द्वारा बीमाकर्ता को प्रस्ताव दिया जाता है व बीमाकर्ता द्वारा स्वीकृति दे ने पर निश्चित प्रतिफल (प्रीमियम) के बदले दोनों के मध्य एक वैध अनुबन्ध निर्मित होता है। जिसमें एक निश्चित घटना के घटित होने पर बीमाकर्ता उसकी हानि की पूर्ति करने का वचन दे ता है।