स्थानीय निवासी बताते हैं कि खदानों में अक्सर आग लगना आम बात हो गई है, लेकिन उसे नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास नहीं किए जाते। बीते महीने जयंत खदान के पास हुए प्रदर्शन के दौरान भी लोगों ने खदान के भीतर जलते हुए कोयले के ढेर देखे थे।सूत्रों की मानें तो जयंत और निगाही खदानों में लंबे समय से कोयला जल रहा है और उसे बुझाने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई।
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इस लापरवाही के चलते लाखों रुपये का कोयला जलकर नष्ट हो गया है। बताया जा रहा है कि खदानों के विभिन्न फेस और कोल स्टॉक यार्ड में अभी भी कोयला सुलग रहा है।हाल ही में हुई बारिश से भले कुछ कोयला बुझा हो, लेकिन उससे पैदा हुई राख अब आसपास के इलाकों में फैलकर लोगों के लिए नई समस्या बन रही है। शहरवासियों का कहना है कि इस राख से सांस, आंखों और त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। अब जरूरत है कि संबंधित प्रबंधन और प्रशासन जल्द हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित करें।
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