गुणवान बनने की सीख देते हैं गणपति

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गुणवान बनने की सीख देते हैं गणपति

गणेश पुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रमास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है। श्रीगणेश को सभी देवों में प्रथम पूज्य माना जाता है। शिवगणों के अध्यक्ष होने के कारण इन्हें गणेश और गणाध्यक्ष भी कहा जाता है। भगवान श्री गणेश मंगलमूर्ति भी कहे जाते हैं, क्योंकि इनके सभी अंग जीवन को सही दिशा देने की सीख देते हैं।

लंबे कान- गणेश जी के कान सूप जैसे बड़े हैं, इसलिए इन्हें गजकर्ण-सूपकर्ण भी कहा जाता है। गणपति के सूप जैसे कान से शिक्षा मिलती है कि जैसे सूप खराब चीजों को छांटकर अलग कर देता है। उसी तरह जो भी व्यर्थ बातें आपके कान तक पहुंचती हैं। उन्हें बाहर ही छोड़ दें।

गणपति की सूंड- गणेश जी की सूंड हमेशा हिलती-डुलती रहती है, जो उनके हर पल सक्रिय रहने का संकेत है। यह हमें ज्ञान देती है कि जीवन में सदैव सक्रिय रहें। जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे कभी दुख: और गरीबी का सामना नहीं करना पड़ता है। शास्त्रों में गणेश जी की सूंड की दिशा का भी अलग-अलग महत्त्व बताया गया है।

बड़ा मस्तक- गणेश जी का बड़ा सिर यह भी ज्ञान देता है कि अपनी सोच को बड़ा बनाए रखना चाहिए।

छोटी आंखें- गणपति की आंखें छोटी हैं। अंग विज्ञान के अनुसार छोटी आंखों वालों को चिंतनशील और गंभीर प्रकृति का माना जाता है। गणेश जी की छोटी आंखें यह ज्ञान देती हैं कि हर चीज को सूक्ष्मता से देख-परख कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला कभी धोखा नहीं खाता।

लंबोदर ऐसे हुए एकदंत- पौराणिक कथा के अनुसार बाल्यकाल में भगवान गणेश का परशुराम जी से युद्घ हुआ था। इस युद्घ में परशुरामजी ने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत काट दिया। उस समय से ही गणेश जी एकदंत कहलाने लगे। गणेश जी ने अपने टूटे हुए दांत को लेखनी बना लिया और इससे पूरा महाभारत ग्रंथ लिख डाला। यह गणेश जी की बुद्घिमत्ता का परिचय है। गणेश जी अपने टूटे हुए दांत से यह सीख देते हैं कि चीजों का सदुपयोग किस प्रकार से किया जाना चाहिए।

बड़ा उदर- गणपति का पेट बड़ा है। इस कारण इन्हें लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी-बुरी बात को पचा जाते हैं। गणेश जी का बड़ा पेट हमें यह ज्ञान देता है कि भोजन के साथ-साथ बातों को भी पचाना सीखें, जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है। वह हमेशा ही खुशहाल रहता है।

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Awanish Tiwari
Author: Awanish Tiwari

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